नोखा प्रखंड के तेंदुआ गांव में पहाड़ पर स्थित शिव मंदिर काफी प्राचीन है. यह बनारस एवं गया के बीच में स्थित है. दोनों शहर की दूरी बराबर है. ग्रामीण रमेश शर्मा, माला बाबू शर्मा आदि ने बताया कि दादा, परदादा से कहानी में सुनने को मिलती थी कि यहां पर शिव-पार्वती के पदचिन्ह भी मिलते हैं.
यह शिवलिंग अति प्राचीन है. यहां पहाड़ पर भगवान के पदचिन्ह अभी भी देखने को मिलता है. यहां एक हवन कुंड भी है, जो पाषाण काल की याद ताजा करता है. इसके बारे में फ़्रांसिसी इतिहासकार जॉन बुकानन ने जिक्र किया है. लेकिन, वह भी इसे स्पष्ट नहीं कर पाए. हालांकि गढ़ परिवार के लोग इसे सर्प यंत्र बताते हैं, जिसका वरदान राज परिवारों को प्राप्त है. इस परिवारों के लोगों को अब तक सांप नहीं काटते.
बताते है कि, यहां पर सर्पायज्ञ कराया गया था. हालांकि यह यज्ञ कब कराया गया इसकी जानकारी नही मिलती है. तेंदुआ गांव के ग्रामीण मंतोष कुमार ने बताया कि यह शिव मंदिर में मन्नत पूरी करती है. जो यह माँगी जाती है उसकी मन्नत जरूर पूरी होती है. कई लोग नौकरी की मांग की और उन नौकरी होने के बाद मन्नत मिली है. ग्रामीण मंदिर के निर्माण में भूमिका निभाई पहाड़ पर स्थित इस मंदिर पर जाने के लिए सीढ़ी का निर्माण कराया.
यहां महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां पर दूर-दूर से लोग मन्नत मांगने के लिए आते हैं और जलाभिषेक कर पूजन करते हैं. साथ सावन में लोगों का तांता लगा रहता है. बता दें कि ग्रामीण सुरक्षा की पूरी व्यवस्था करते हैं हालांकि आज तक यहां पर कोई भी घटना नही हुई है. पुलिस प्रशासन की यहां पर जरूरत नही पड़ी है.