जलपुरुष बोले- यहां की किसानी, जवानी और पानी पर गहराता जा रहा संकट

कार्यक्रम को संबोधित करते जलपुरुष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद

देश में 72 फीसद भूगर्भीय जल खाली हो चुका है. 365 जिले पानी की किल्लत झेल रहे हैं वहीं 190 जिले बाढ़ झेल रहे हैं. आजादी के वक्त के मुकाबले 8 गुना अधिक जमीन पर बाढ़ इस वर्ष आई है, 10 गुना जमीन पर सुखाड़ आया. अगर हम नहीं चेते तो देश की किसानी, पानी और यहां की जवानी पर घोर संकट गहराता जा रहा है. उक्त बातें रोहतास के जमुहार स्थित गोपाल नारायण सिंह विश्व विद्यालय परिसर स्थित नारायण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में गुरुवार को आयोजित ‘खिसकता जलस्तर और हमारा भविष्य’ विषय पर संगोष्ठी में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता और स्टॉकहोम वाटर प्राइज से सम्मानित जल पुरुष के नाम से प्रसिद्ध डॉ. राजेंद्र सिंह ने कही.

उन्होंने कहा कि बिहार में चल रहे जल जीवन हरियाली योजना को जनोपयोगी ही नहीं दूरदर्शी योजना बताया है. इसकी सफलता के लिए सरकार के साथ-साथ आम लोगों की मजबूत भागीदारी का मूल मंत्र भी दिया है. अब यहां के लोग पानी की कीमत समझें और उसके संरक्षण पर बल दें. जिसकी असली जिम्मेवारी आने वाली नई पीढ़ी के कंधे पर है. कहा कि यदि बिहार को बाढ़ एवं सुखाड से निजात दिलाना है तो हमें प्रकृति के साथ  कदम से कदम मिलाकर चलना होगा और हमने धरती के साथ जो अन्याय किया है उसका निदान करना होगा. जब तक हम धरती को स्वस्थ नहीं रखेंगे तब तक हम स्वस्थ नहीं होंगे. प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करके आज पूरी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग एवं प्रदूषण की चपेट आ चुकी है और अगर यही स्थिति बनी रहे तो आने वाले समय में मानव जीवन के लिए अत्यंत ही कष्टकारी दिन आने वाला है और इससे कोई रोक नहीं सकता है.

कार्यक्रम को संबोधित करते जलपुरुष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद

उन्होंने कहा कि 60 देशों का 5 साल से अध्ययन कर रहा हूं. 40 देश के लोग उजड़ रहे हैं. किस तरह के युद्ध के परिवेश का निर्माण करेंगे कहना मुश्किल है. भारत ने 72 फीसदी भूगर्भ जल का दोहन कर लिया. उत्तर भारत संकट में है. उन्होंने राजस्थान के उन क्षेत्रों का वर्णन किया जहां की महिलाएं 6 घंटा पैदल चल कर पीने के पानी को प्राप्त करती थीं और साल में दो बार वहां के लोग स्नान करते थे लेकिन जल संग्रहण के द्वारा उस मरुभूमि को हरियाली में तब्दील करने के लिए रात दिन एक कर के उस पर काम किया गया. उन्होंने कहा कि यदि मानव ठान लें तो कुछ भी संभव है. अगर अभी हम नहीं चेते तो आने वाला समय हमें कभी माफ नहीं करेगा और निश्चित रूप से पूरे विश्व में जल को लेकर भयंकर त्रासदी मच जाएगी और फिर मानव जीवन पूरी तरह से तबाह हो जाएगा. मानव जीवन तभी सुरक्षित रहेगा जब हम धरती को शांत रखेंगे, धरती को आराम देंगे, धरती को हरियाली देंगे और यह तभी संभव है जब हम जल की बर्बादी को रोकने के साथ ही जल के संग्रहण करने वाले तमाम अपने पारंपरिक आहर, पोखर, तालाब, पैन, छोटी-छोटी नदियों को पुनः काम में लाएं.

जलपुरुष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को स्मृति चिन्ह देते विश्वविद्यालय के सचिव

इस कार्यक्रम का संचालन प्रिया ग्रेवाल और सृष्टि श्री ने किया. इस दौरान गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय के सचिव गोविंद नारायण सिंह, विश्विद्यालय के कुलपति डॉ  एमएल वर्मा, जन संपर्क पदाधिकारी भूपेन्द्र नारायण सिंह, जिले के कई गणमान्य लोग, शिक्षकगण, छात्र एवं अन्य उपस्थित रहे.

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