सूबे का पहला मगरमच्छ संरक्षण स्थल करकटगढ़ में बनने की उम्मीदें बढ़ गयी हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आठ जनवरी को इस जलप्रपात का मुआयना करेंगे. जिसके लिए जिला प्रशासन दिन-रात तैयारी कर रहा है. पिछले साल मुख्यमंत्री के सलाकार अंजनी कुमार सिंह जब यहां पहुंचकर इस जगह का अध्ययन कर रहे थे, उसी समय लगा कि यहां कुछ न कुछ होने वाला है. अब इस जगह पर सबकी निगाहें टिकी हैं.
तीन सौ फीट चौड़ा व सौ फीट उंचे करकटगढ़ जलप्रपात पौराणिक महत्व की नदी कर्मनाशा के उपरी हिस्से में स्थित है. प्राकृति के सुरम्य वातावरण में मौजूद यह जलप्रपात सैलानियों के लिए आकर्षण का केन्द्र रहा है. अलग-अलग मौसम में इसकी छटा अलग-अलग मनमोहक रूप में दिखायी पड़ती है.
गर्मी के दिनों में इस झरने का विहंगम दृश्य नीचे कुंड में इन्द्रधनुष बनाते दिखता है. जो एक बार यहां आता है, उसके मन का मयूर नाच उठता है. तभी तो ब्रिटिश काल में बिहार व उड़ीसा प्रांत के शाहाबाद के गजैटियर एलएसएस ओमालेय ने भी इसे इस क्षेत्र में प्रकृति का सबसे खूबसूरत जलप्रपात बताया था. लेकिन बदली परिस्थति में 1979 में इस क्षेत्र को वन आश्रयणी के रूप में घोषित करते हुए मगरमच्छों के मारने पर प्रतिबंध लगा दिया.
बाद में यह क्षेत्र नक्सलियों के कब्जे आ गया. जहां वर्ष 2000 के विधानसभा चुनाव की पूर्व संध्या पर नक्सलियों ने लैंड माइन्स पोलिंग पार्टी को उड़ा दिया था जिसमें सात पुलिसकर्मी मारे गये थे. बाद में परिस्थिति बदली और आज इस क्षेत्र में मुख्यमंत्री के आने की तैयारी चल रही है.
इसके पूर्व वर्ष 2016 में यह स्थान तब चर्चा में आया जब 75 मगरमच्छ कर्मनाशा नदी में दिखाई पड़े थे उस समय पर्यावरण व वन विभाग ने इसे मगरमच्छ संरक्षण क्षेत्र के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा था. यह जानकारी देते हुए डीएफओ सत्यजीत कुमार ने बताया कि राज्य सरकार ने प्रारंभिक अध्ययन के लिए दस लाख रुपये स्वीकृत किया है. जबकि केन्द्रीय वन व पर्यवरण मंत्रालय इसके लिए तीन लाख रुपये की सहायता दी है. इस जगह पर प्राकृतिक रूप से दो तालाब हैं. जिसमें एक तालाब मगरमच्छों के रहने व दूसरा तालाब गर्भवती मादा मगरमच्छों के रहने के लिए करने पर विचार किया जा रहा है.