1921 में रोहतास की धरती पर आए थे महात्‍मा गांधी

प्रतीकात्मक तस्वीर

स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान सत्याग्रह आंदोलन हो या भारत छोड़ो आंदोलन में भोजपुरी पट्टी की सक्रियता का रोहतास जिला भी महत्वपूर्ण केंद्र रहा है. यही वजह थी कि महात्मा गांधी ने पूरे शाहाबाद में स्वतंत्रता आंदोलन की बुनियाद रखी थी. विभिन्न आंदोलनों के सिलसिले में बापू का आगमन तब के शाहाबाद व रोहतास जिला में भी एक बार हुआ था. जिले में गांधीजी के एकमात्र दौरा के दौरान ही उस दौर में भी जनसैलाब उमड़ पड़ा था. 12 अगस्त 1921 को महात्मा गांधी ने जिले के तीन इलाकों में जनसभा करने के अलावे मार्ग में भी कई स्थानों पर हजारों लोगों से मुलाकात की थी.

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जिले में आगमन का जिक्र जाने माने इतिहासकार डॉ. केके दत्त ने अपनी किताब गांधी जी इन बिहार में किया है. पुस्तक के मुताबिक महात्मा गांधी का स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान बिहार के तब के शाहाबाद जिला में पांच बार आगमन हुआ. जहां एक बार वे सासाराम अनुमंडल के तीन इलाकों में आए थे. असहयोग आंदोलन के सिलसिले में 12 अगस्त 1921 को बक्सर होते हुए गांधी जी दावथ प्रखंड के कोआथ में पहुंचे. इसके पूर्व वे 1914, 1917, 1919 के अलावे बाद में 1921 व 1934 में भी शाहाबाद का दौरा किए थे. हालांकि इन वर्षों की प्रमाणिक तिथि के दस्तावेजी प्रमाण नहीं है.

एक अगस्त 1920 को असहयोग आंदोलन की आधारशिला रखने के बाद 11 अगस्त 1921 को अहले सुबह महात्मा गांधी बक्सर पहुंचे थे. उस समय उनके साथ मौलाना मोहम्मद अली, कानपुर के अब्दुल कादिर आजाद सियानी व सेठ जमुनालाल बाजाज भी थे. उनके आने के दो दिन पूर्व डॉ. राजेन्द्र प्रसाद व अनुग्रह नारायण सिंह भी अपने सहयोगियों के साथ पहुंच चुके थे. तब कोआथ के बभनौल अड्डा पर पर एक बड़ी सभा हुई थी. वहां सभा करने के बाद महात्मा गांधी दोपहर 12 बजे बिक्रमगंज के रेलवे मैदान अब के गांधी मैदान में छोटी सभा किए. इसके बाद करीब तीन बजे सासाराम की ओर निकल गए.

सासाराम जाने क्रम ने महात्मा गांधी नोखा में भी कुछ देर के लिए रूककर लोगों से संवाद स्थापित किए थे. करीब शाम के छह बजे मोटरकार से वे अपने सहयोगियों के साथ सासाराम पहुंचे थे. उसके बाद सूखा रौजा के गेट पर ही महात्मा गांधी की सभा हुई थी. उस दौर में प्रचार-प्रसार के साधन नहीं होने के बावजूद हजारों लोगों की भीड़ उनको को देखने-सुनने पहुंची थी. शाम होने से अंधेरे में सभा करना संभव नहीं था. लेकिन कार्यक्रम के आयोजकों ने पेट्रोमैक्स जलाकर सभा पूरी कराई. असहयोग आंदोलन से लोगों को जोड़ने पहुंचे बापू व अन्य नेताओं की आगवानी यहां के स्वतंत्रता सेनानी सोहसा के राम नगीना चौबे, कोआथ के रामेश्वर प्रसाद केशरी, राजनडीह के श्रीनिवास सिंह, बुधन राय वर्मा, बहुआरा के भवानी दयाल संन्यासी, मोहिउद्दीन साहब, शनीचरा देवी व हरिहर प्रसाद आदि ने की थी. यहां सभा के बाद महात्मा गांधी रात में औरंगाबाद के लिए निकल गए थे.

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