सासाराम नगर परिषद 3.14 करोड़ घोटाला मामला: निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने दाखिल की चार्जशीट, तत्कालीन ईओ व मुख्य पार्षद समेत 7 हैं आरोपी; 2016 का है मामला

फाइल फोटो

तत्कालीन सासाराम नगर परिषद में सामान खरीदने के नाम पर हुए 3.14 करोड़ से अधिक के घोटाला मामले में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने चार्जशीट दाखिल कर दिया है. मंगलवार को इस मामले में निगरानी ने कुल सात आरोपियों के खिलाफ पटना स्थित निगरानी कोर्ट में चार्जशीट दाखिल किया है. घोटाले का पूरा मामला साल 2014 का है. उस वक्त राजीव रंजन प्रकाश सासाराम नगर परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी थे. जबकि, नाजिया बेगम उस वक्त नगर परिषद की अध्यक्ष थीं.

बिजली विभाग के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता (शहरी क्षेत्र) अविनाश कुमार, नगर परिषद के तत्कालीन उपाध्यक्ष चंद्रशेखर सिंह, तत्कालीन वार्ड पार्षद विनोद प्रसाद, मीरा कौर और शशि पांडेय का भी इस घोटला में अहम रोल रहा है. दरअसल, सासाराम नगर परिषद की ओर से लैपटॉप, हाई मास्क लाइट, एलईडी बल्ब, डेकोरेटिव पोल, रेडीमेड टॉयलेट सहित कई सामानों को खरीदा जाना था. इसके लिए स्थायी समिति को अपनी मंजूरी देनी थी. सामानों की खरीदारी के लिए टेंडर की सही प्रक्रिया अपनाया नहीं गया.

ब्यूरो में प्राप्त वर्ष 2014 के परिवाद पत्र में नगर परिषद सासाराम के तत्कालीन सशक्त स्थायी समिति के सदस्यगण की मिलीभगत एवं बिहार नगर पालिका अधिनियम के अवहेलना करते हुए बाजार भाव से अधिक कीमत पर खरीदारी में कुल 3 करोड़ 14 लाख 5 हजार 419 रुपए के राजस्व क्षति पहुँचाने के भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था. जबकि, नियम के तहत नगर परिषद को सार्वजनिक तौर पर टेंडर जारी करना था. इसमें कम से कम तीन ठेकेदारों के प्रस्ताव होना चाहिए था, पर उस दौरान नियमों की अनदेखी की गई. परिवाद पत्र पर निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने अपनी जांच शुरू की थी.

निगरानी की जांच में राजस्व की क्षति पहुंचाने का आरोप सही पाया गया. सारे रद्दी सामानों की खरीद हुई थी. तब इन 7 लोगों को आरोपी बनाते हुए निगरानी ने 20 सितंबर 2016 को पटना में एफआईआर नंबर 93/16 दर्ज किया था. इस मामले में कुल 5 लोगों की 2017 में गिरफ्तारी हुई थी. जबकि, 2 लोगों ने खुद को सरेंडर किया था. फिलहाल सभी आरोपी जमानत पर हैं. अब इस केस को सत्य पाते हुए आरोप पत्र संख्या 24/23 विशेष न्यायालय, निगरानी पटना को समर्पित किया गया.

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