रोहतास: मौसम अनुकूल कृषि के तहत नाटा मंसूरी की जगह लगाए गए स्वर्णा सब वन व सबौर धान

कृषि विज्ञान केंद्र रोहतास में शनिवार को बिहार कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय सबौर के सह निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ आरएन सिंह जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के अंतर्गत कराए जा रहे विभिन्न तकनीकों का अवलोकन किया. इस दौरान उन्होंने डेढगांव एवं सुरहुरिया गांव का निरीक्षण किया. उन्होंने किसानों को संबोधित करते हुए कहा की जलवायु अनुकूल खेती के तहत पूरे रोहतास प्रखंड के पांच गांव में 595 एकड़ में धान की वैज्ञानिक खेती कराई जा रही है. इसमें धान की सीधी बुवाई तकनीक मशीन द्वारा एवं धान की सीधी बुवाई ड्रम सीडर द्वारा पांच गांव में जिले में पहली बार 76 एकड़ क्षेत्रफल में शुरू की गई है. इस तकनीक के माध्यम से किसान सही समय पर धान की फसल काटकर गेहूं लगा सकेंगे. इससे धान का उत्पादन भी बढ़ेगा और गेहूं के उत्पादन में भी वृद्धि होगी. जल संचयन एवं बांध निर्माण के तहत भी खेतों में पानी का संचय कर खरपतवार प्रबंधन एवं सिंचाई में लगने वाले पानी की कमी को दूर किया जा सकेगा. वैकल्पिक गीली एवं सुखी धान की खेती की तकनीक द्वारा क्रम जल उपलब्ध रहते हुए भी धान की अच्छी पैदावार ली जा सकेगी.

इन सभी तकनीकों में रोहतास जिले में पहली बार नाटा मंसूरी की जगह स्वर्णा सब वन एवं सबौर संपन्न धान के प्रभेद लगाए गए हैं. यह प्रभेद नाटा मंसूरी धान से 15 दिन पहले पक कर तैयार हो जाएगी और धान उत्पादन में कमी नहीं होगी. गेहूं की ससमय खेती नवंबर माह से ही शुरू कराई जा सकेगी, जिससे गेहूं की उत्पादकता में अत्यधिक वृद्धि होगी. इस जिले में दो फसली प्रणाली यथा धान, गेहूं की जगह धान, गेहूं, मूंग की खेती के द्वारा किसानों की आय में दोगुनी बढ़ोतरी हो जाएगी. उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र रोहतास के एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में सभी जलवायु अनुकूल तकनीक के प्रदर्शन के लगाए जाने की जानकारी सभी कृषकों को दी और उनसे परिभ्रमण का आग्रह किया.

धान के 27 प्रभेद क्रॉप कैफिटेरिया में लगाए जाने की जानकारी देते हुए कहा कि जिले के किसान सभी 27 धान के पौधों का अवलोकन कृषि विज्ञान केंद्र में कर सकते हैं. उन्होंने किसानों को पराली नहीं जलाने का आग्रह करते हुए कहा कि पराली को इकट्ठा करने हेतु सरकार 80% अनुदान पर जिले के सभी पात्र कृषकों को मशीन मुहैया करायेगी. जिले में व्याप्त पशु चारे की समस्या इससे दूर होगी और फसल अवशेष बेकार ना होकर पैसे देकर किसानों को मालामाल करेगी.

कार्यक्रम में उपस्थित प्रभारी वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डाॅ आर के जलज ने कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा फसलों के बीज, उन्नत प्रजाति के मत्स्य बीज इंप्रूव्ड कतला एवं जयंती रोहू एवं उन्नत प्रजाति के सब्जी एवं फलदार वृक्ष कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा लगातार किसानों हेतु उपलब्ध कराए जायेंगे. उद्यान वैज्ञानिक डॉ रतन कुमार ने धान में खरपतवार नियंत्रण एवं सब्जियों की उन्नत खेती के बारे में चर्चा की. कार्यक्रम में अनुसंधान सहायक डॉ स्नेहा कुमारी, श्री हरेंद्र प्रसाद शर्मा, प्रवीण कुमार, अभिषेक कुमार, सुबेश कुमार इत्यादि उपस्थित थे.

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