दुर्गावती जलाशय में वन संपदा व मछलियों की तस्करी करने वाले माफियाओं की निगरानी अब कैमूर वन विभाग द्वारा बोट से की जाएगी. वन संपदाओं की निगरानी किए जाने से तस्करी मुश्किल होगी. दुर्गावती जलाशय में नाव रोहतास के चेनारी प्रखंड की सीमा से अधौरा प्रखंड तक लगभग 15 किलोमीटर चलेगी.
अधिकारियों ने बताया कि जलमार्ग से वन संपदाओं की तस्करी को रोकने के लिए राज्य मुख्यालय के निर्देश पर वन विभाग ने बोट उपलब्ध कराने को लेकर निविदा निकाली थी. बोट उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी गुजरात की कृष्णा फाइवर्स कंपनी को दी गई है. कंपनी के प्रतिनिधियों से वार्ता हुई है. उन्हें 25 जनवरी तक बोट उपलब्ध कराने का अंतिम समय दिया गया है. बोट उपलब्ध होने के बाद कंपनी के एक्स्पर्ट द्वारा वन विभाग के कर्मियों को उसके संचालन की ट्रेनिंग देंगे. एक फरवरी से जलमार्ग से निगरानी का काम प्रारंभ कर दिया जाएगा.
दुर्गावती जलाशय का रास्ता तस्करों के लिए है सेफ जोन: जंगल से कीमती लकड़ी, केंदू पत्ता, महुआ, चिरौंजी आदि वन संपदा लेकर तस्कर आराम से दुर्गावती जलाशय परियोजना के रास्ते निकल जाते है. रास्ता सुगम नहीं होने व जंगल होने का लाभ तस्कर उठाते रहे हैं. वन विभाग ने दुर्गावती जलाशय के रास्ते से दर्जनों बार ट्रैक्टर व पिकअप पर लदे केंदू पत्ते व अन्य वन संपदा को जब्त किया है. कई वन तस्करों को गिरफ्तार भी किया गया है.
कैमूर डीएफओ सत्यजीत कुमार के मुताबिक दुर्गावती जलाशय में मछुआरों के मछली मारने की शिकायतें अक्सर मिलती हैं. कैमूर वन विभाग ने रोहतास जिले के कई मछुआरों को मछली व जाल के साथ गिरफ्तार भी किया था. अधिकारियों का कहना था कि जलाशय की लंबाई व चौड़ाई अधिक होने की वजह से मछुआरे बीच में नाव के सहारे प्रवेश कर जाते थे. काफी प्रयास के बाद भी विभाग की टीम जलाशय के बीच में नहीं पहुंच पाती थी. इसका वे लाभ उठाते हुए भाग खड़े होते थे. लेकिन, अब ऐसा नहीं होगा. क्योंकि विभाग जलमार्ग से निगरानी करेगा.