रोहतास: शहीद दारोगा को अंतिम विदाई देने उमड़ी भीड़, पंचतत्व में विलीन हुए बीरेंद्र; 16 फरवरी को उठनी थी बेटी की डोली

औरंगाबाद के दाउदनगर में ग्रामीणों के हमले में शहीद हुए दारोगा बीरेंद्र पासवान का शव सोमवार को उनके पैतृक गांव शिवसागर थाना क्षेत्र के सोनडिहरा लाया गया. गांव में उनके अंतिम दर्शन के लिए लोगों की भीड़ जमा हो गई. परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है. औरंगाबाद से उनका पार्थिक शरीर लगभग 9:30 बजे गांव में लाया गया. पार्थिव शरीर के साथ पुलिस बल भी थे. मृत दरोगा की पत्नी और बेटी को संभालना मुश्किल हो रहा था.

रोनडिहरा गांव के रामबचन पासवान के चार बेटों में बीरेंद्र पासवान एकमात्र नौकरी करने वाले थे. मृतक बीरेंद्र पासवान के पुत्र 30 वर्षीय वरूण प्रताप एवं 23 वर्षीय विनय प्रताप की भी रो-रोकर हालत खराब है. उनके बड़े बेटे वरूण ने पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी. मृतक दारोगा बीरेंद्र की बेटी वंदना की 9 फरवरी को तिलक जाना था. जबकि 10 फरवरी को संगीत और 14 को मड़वा कार्यक्रम था. 15 को मेहंदी व 16 को बारात आनी थी.

शादी का कार्ड छपवाकर वे दाउदनगर से लेकर जिला मुख्यालय और अपने रिश्तेदारों में खुद से बांटा था. सभी से शादी में जरूर आने की आग्रह की थी. वे बहुत खुश थे कि शादी से पहले कोरोना का प्रभाव खत्म हो गया, लेकिन भगवान को कुछ और ही मंजूर था. बेटी की डोली उठने से पहले ही दारोगा पिता की अर्थी उठ गई. घर की खुशी मातम में बदल गई.

बताया गया कि सब इंस्पेक्टर वीरेंद्र कुमार पासवान ने बिहार पुलिस में 18 सितंबर 2009 को पुलिस अवर निरीक्षक के पद पर योगदान दिया था. वह कर्तव्यनिष्ठ और साहसी पुलिस पदाधिकारी थे. उन्होंने अपराधियों के विरुद्ध लगातार कार्य किया था. इसके पहले वे भोजपुर व कैमूर जिला में पदस्थापित रहे थे. उन्हें अब तक के सेवाकाल में कार्य कुशलता के लिए 41 बार पुरस्कृत किया गया था. वे मृदुभाषी स्वभाव के थे और अधीनस्थ अधिकारियों के बीच काफी लोकप्रिय थे.

बताया जा रहा है कि दारोगा बीरेंद्र के मौत का कारण बालू बना. साथी से लेकर परिवारवाले तक इस बात की चर्चा कर रहे हैं. हुआ कुछ यूं था कि दाउदनगर थाना के नान्हू बिगहा बालू घाट पर पिछले सप्ताह वर्चस्व की लड़ाई में बालू माफिया ने बालू घाट की मुंशी की हत्या कर दी थी. हत्या के बाद आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी शुरू हुई. वैज्ञानिक अनुसंधान में आया कि घटनास्थल से आरोपियों ने शमशेरनगर के एक अपराधी से बातचीत की थी. सूचना के बाद उक्त अपराधी से पूछताछ करने के लिए उसे पकड़ना जरूरी था.

औरंगाबाद के जिला पुलिस की टीम के साथ दाउदनगर थाना के दारोगा बीरेंद्र शमशेरनगर पहुंचे. मोबाइल लोकेशन के आधार पर अपराधी के घर में पुलिस दाखिल हो गई. आरोपी को पकड़ लिया गया. जब आरोपी को पकड़कर पुलिस बाहर आ रही थी, उसी समय अपराधियों के घर से ग्रामीणों ने छत से क्राउन गियर को दारोगा बीरेंद्र पर गिरा दिया. जिसमें वे गंभीर रूप से जख्मी हो गए. घटना के बाद दाउदनगर के अरविंद हॉस्पिटल से प्राथमिक इलाज के बाद बेहतर इलाज के पटना रेफर किया गया था. पटना पारस हॉस्पिटल में जख्मी दारोगा का इलाज चल रहा था. जहां दारोगा की मौत हो गई.

पटना में पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी करने के बाद शव को औरंगाबाद लाया गया था. पुलिस लाइन में पार्थिव शरीर को सलामी दी गई. औरंगाबाद डीएम सौरभ जोरवाल, एसपी कांतेश कुमार मिश्र सहित अन्य पुलिस पदाधिकारियों ने श्रद्धांजलि दी. सलामी देने के बाद पार्थिव शरीर को उनके घर रोहतास जिला के शिवसागर थाना क्षेत्र के साेनडीहरा गांव में लाया गया. वहीं दारोगा पर हमला करने के मामले में दाउदनगर थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी. जिसमें 16 लोग गिरफ्तार किए गए हैं.

आरोपियों पर जानलेवा हमला करने का मामला दर्ज किया गया है. इसमें धारा 307 के तहत आरोपियों पर कार्रवाई चल रही थी, लेकिन अब इसमें हत्या का धारा 302 लगेगा. अब आरोपियों को जमानत नहीं मिलेगी. पुलिस स्पीडी ट्रायल चलाकर सजा दिलाएगी. इधर, मातमपुर्सी करने पहुंचे भीम आर्मी रोहतास जिला प्रभारी अमित पासवान ने शहीद बीरेंद्र पासवान के किसी एक सदस्य को सरकारी नौकरी, सरकारी मुआवजा राशि, हत्या में शामिल सभी आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी कर स्पीडी ट्रायल के तहत फांसी एवं दाउदनगर थाना परिसर में शहीद दारोगा का भव्य प्रतिमा बनाने की मांग सरकार से की.

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