रोहतास: किशोरी से दुष्कर्म के दोषी को दस साल कारावास, 26 वर्ष पुराने हत्या मामले में 5 दोषियों को आजीवन कारावास

रोहतास व्यवहार न्यायालय ने एक किशोरी से दुष्कर्म मामले में शुक्रवार को दोष सिद्ध अभियुक्त को दस साल कारावास की सजा सुनाई है. रोहतास के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश छह सह विशेष न्यायाधीश रामजी प्रसाद यादव की अदालत ने शुक्रवार को किशोरी से दुष्कर्म से जुड़े एक मामले सजा की बिंदु पर सुनवाई करते हुए तिलौथू थाना के चोरकप गांव निवासी अभिषेक कुमार उर्फ गौरव को दस साल कठोर कारावास की सजा सुनाई है. कोर्ट ने उस पर 30 हजार रुपए अर्थदंड भी लगाया है.

मामले की जानकारी देते हुए अभियोजन पक्ष की वकील विशेष लोक अभियोजक जनक राज किशोरी ने बताया कि उक्त अभियुक्त द्वारा अगस्त 2021 में एक 14 वर्षीय किशोारी के घर में घुसकर अंजाम दिया गया था. उसपर जबरन दुष्कर्म का आरोप लगा था. जिसकी प्राथमिकी पीड़िता के परिजनों द्वारा दर्ज कराई गई थी. इस मामले में अभियोजन पक्ष के द्वारा सात गवाहों की गवाही कोर्ट में दर्ज कराई गई थी. इसके बाद कोर्ट ने अभियुक्त को पॉक्सो अधिनियम की धारा 4 के तहत 20 दिसंबर 2023 को अभियुक्त को दोषी करार दिया था. जिसके बाद मामले में शुक्रवार को सजा सुनाई गई है.

वहीं, रोहतास व्यवहार न्यायालय ने 26 वर्ष पूर्व एक हत्या मामले में सुनवाई करते हुए 5 दोष सिद्ध अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम की अदालत ने नोखा थाना क्षेत्र के बरांव मोड़ पर हुई हत्या मामले में सजा के बिंदु पर सुनवाई करते हुए करगहर थाना क्षेत्र के करुप गांव निवासी मेंदर सिंह उर्फ अमरेंद्र सिंह, नथुनी सिंह, शंकर दयाल सिंह, शैलेंद्र सिंह व अभय सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही उनपर 20 हजार रुपए का अर्थदंड लगाया है.

अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता विद्यासागर राय ने बताया कि इस घटना की प्राथमिकी 26 वर्ष पूर्व 1997 में नोखा थाना में दर्ज कराई गई थी. घटना चार अक्टूबर 1997 को घटी थी. मामले के सूचक विश्वनाथ सिंह अपने भतीजा अरुण सिंह के साथ सासाराम से अपने गांव करूप जा रहे थे. इसी क्रम में शाम करीब चार बजे जब बाइक से बरांव मोड़ पर पहुंचे थे, तभी पहले से घात लगाए उक्त अभियुक्तों ने उन्हें रास्ते में घेर लिया था. जिसके बाद अरुण सिंह को निशाना बनाते हुए फायरिंग करने लगे. घटना में अरुण सिंह की घटनास्थल पर ही मौत हो गई थी, जबकि सूचक किसी तरह जान बचाकर वहां से भागते हुए अपने गांव करुप पहुंचे और घटना की सूचना स्वजनों को दी थी. घटना का कारण दोनों परिवार के बीच पुरानी दुश्मनी थी. मामले में चार गवाहों की गवाही कराई गई थी. जिसके बाद कोर्ट ने अभियुक्तों को हत्या में दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.

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