सासाराम नगर निगम की कमान संभालते ही एक्शन में डीएम, रोकड़ पंजी के जांच के लिए टीम गठित

सासाराम नगर निगम की सारी कमेटियां भंग हो गई हैं. मुख्य पार्षद से लेकर वार्ड पार्षदों तक के अधिकार को समाप्त कर दिया गया है. इसकी अधिसूचना नगर विकास एवं अवास विभाग की ओर से जारी कर दी गई है. नगर परिषद से नगर निगम में प्रोन्नत होने के छह महीने पूरे होने पर नियमानुसार बोर्ड को भंग कर दिया गया है. अब डीएम के माध्यम से ही नगर निगम में सारे काम होंगे. उन्हें नवगठित सासाराम नगर निगम का प्रशासक नियुक्त किया गया है. डीएम धर्मेद्र कुमार ने सासाराम नगर निगम के प्रशासक के तौर पर कार्यभार ग्रहण कर लिया है.

डीएम सह प्रशासक ने सासाराम नगर निगम के स्थाई सशक्त समिति की शक्तियों को निर्वहन के लिए स्थाई सशक्त समिति का गठन किया. इस कमेटी में राज्य खाद्य निगम के जिला प्रबंधक संतोष कुमार, जिला भू-अर्जन पदाधिकारी राजेश कुमार, वरीय उप समाहर्ता रश्मि सिंह, जिला लेखा पदाधिकारी एवं जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक को शामिल किया गया है. डीएम ने नगर निगम के अधिकारियों-कर्मचारियों को लगन से काम करने का निर्देश दिया है. कहा कि लापरवाही किसी भी दशा में क्षम्य नहीं होगी.

उन्होंने कार्यभार ग्रहण करने के बाद नगर निगम के रोकड़ पंजी आदि की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन किया है. जांच टीम में वरीय उप समाहर्ता रश्मि सिंह, कोषागार पदाधिकारी एवं जिला लेखा पदाधिकारी शामिल है. डीएम ने जांच दल को नगर निगम के रोकड़ पंजी आदि की जांच कर प्रतिवेदन एक सप्ताह के अंदर सौपने का सख्त निर्देश दिया है.

जानकारी के अनुसार, 26 दिसंबर को नगर विकास व आवास विभाग द्वारा नगर परिषद सासाराम को नगर निगम में उत्क्रमित किया गया था. मंजूरी मिलने के छह माह के अंदर नियमानुकूल चुनाव कराना अनिवार्य माना गया है. अगर अधिसूचना से छह माह के अंदर किसी कारणवश चुनाव नहीं होते हैं तो वहां की सभी समितियों को भंग कर प्रशासक की नियुक्ति की जाती है. छह माह की अवधि पूरा होने के बाद भी चुनाव नहीं हुआ तो डीएम ने नगर निगम सासाराम व नगर परिषद नोखा को लेकर विभाग से मार्गदर्शन की मांग की थी. विभाग ने उत्क्रमित नगर निगम के सभी समितियों को भंग कर उसकी शक्ति का प्रयोग करने का अधिकार डीएम को बतौर प्रशासक के रूप में दिया है.

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