सासाराम सदर अस्पताल के कैदी वार्ड में पूर्व विधायक से मिले सुशील मोदी, बोले- साजिश के तहत शहर में उत्पन्न किया गया तनाव

राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद सुशील मोदी बुधवार को सासाराम पहुंचे. उन्होंने सासाराम हिंसा मामले में गिरफ्तार भाजपा के पूर्व विधायक जवाहर प्रसाद से सदर अस्पताल के कैदी वार्ड भेंट की और उनके स्वास्थ्य का हाल जाना. उनके साथ विधान पार्षद संतोष कुमार सिंह व निवेदिता सिंह भी पहुंचीं. इस दौरान सिविल सर्जन डॉ. केएन तिवारी के नेतृत्व में चिकित्सकों की टीम ने पूर्व विधायक का स्वास्थ्य परीक्षण कर अद्यतन स्थिति से उन्हें अवगत कराया.

बता दें कि एक दिन पूर्व जेल में जवाहर प्रसाद की तबीयत बिगड़ गई थी. इसके बाद उन्हें इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया गया था. सुशील मोदी अस्पताल से सीधे जवाहर प्रसाद के घर पहुंचे और परिजनों से मुलाकात की. सुशील मोदी ने परिजनों से मुलाकात के दौरान बताया कि पूर्व विधायक को हल्की सर्दी-खांसी है. कुछ अन्य दिक्कतें हैं. उन्हें पूरी तरह से ठीक होने में एक सप्ताह लगेगा. डॉक्टरों से भी बात हुई है, घबराने की कोई बात नहीं है.

जवाहर प्रसाद की पत्नी ने पूर्व उपमुख्यमंत्री से बताया कि उस रात कैसे साढ़े बारह बजे पुलिस पहुंची. इसके बाद पूर्व विधायक को गिरफ्तार कर अपने साथ ले गई. परिजनों ने बताया कि जेल में पूर्व विधायक से उन्हें मिलने नहीं दिया गया. तबीयत बिगड़ने के बाद जब उन्हें सदर अस्पताल लाया गया, तब परिजनों को मिलने दिया गया.

पूर्व विधायक से मिलने के बाद राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कहा कि सासाराम की हिंसा राजद-जदयू गठजोड़ की सोची समझी साजिश का हिस्सा है. इसका नतीजा पूर्व विधायक जवाहर प्रसाद की गिरफ्तारी है. कारण कि घटना के 40 दिन बाद पूर्व विधायक पर हत्या की प्राथमिकी कर उनकी गिरफ्तारी की गई है. हिंसा के दौरान घायल युवक की मौत के 35 दिन बाद पुलिस ने पूर्व विधायक पर हत्या की प्राथमिकी की. इसके पहले उनका नाम किसी भी प्राथमिकी में नहीं था. यहां तक कि जिस रिश्तेदार के घर युवक आया था, उसे भी पुलिस ने जेल भेज दिया.

जिला प्रशासन व रोहतास पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि युवक की मौत गोली लगने से हुई थी, जबकि पुलिस ने मौत का कारण पथराव बता असल दोषियों को बचाने का काम किया. सबसे बड़ा सवाल तो यह कि पर्याप्त संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती नहीं की गई. इसलिए पूरे मामले की जांच किसी सेवानिवृत या वर्तमान में कार्यरत न्यायिक पदाधिकारी से करानी चाहिए. कहा कि पूरे मामले को संसद की कार्यवाही के दौरान उठा न्यायिक जांच कराने की मांग भी उनके द्वारा की जाएगी.

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