बिहार का कैमूर पहाड़ी अपनी पौराणिक गाथाओं व सांस्कृतिक विरासत के लिए तो विश्व प्रसिद्ध है ही, लेकिन कैमूर की पहाड़ियों में जिन प्राकृतिक संसाधनों को प्रकृति ने स्थापित किया है, उसे देख कर आप यह कह सकते हैं कि प्रकृति ने ऐसे भाग को यहां संजोया है, जिसमें सुरम्य, सौम्य और अविरल, कल-कल, छल- छल बहते झरनों की झंकार, मनमोहक बांसुरी की मधुर तान से कम नहीं है. ऐसे में रोहतास वन प्रमंडल के प्रयास से प्राकृतिक प्रेमियों के लिए “कैमूर वन्यप्राणी आश्रयणी के जलप्रपात” शीर्षक नाम से कैलेंडर एवं वीडियो जारी किया गया हैं, जो प्राकृतिक प्रेमियों के मन को मोह लेगा.
इस वीडियो में तुतला भवानी, तेलहर कुंड, दुर्गावती वाटरफॉल, मांझर कुंड, नेटुआ कुंड, बंसी खोह वाटरफॉल, महादेव खोह वाटरफॉल, बुढवा वाटरफॉल, धुआं कुंड, कशिश वाटरफॉल, करकटगढ़ वाटरफॉल एवं पंचगुप्ता वाटरफॉल की धारा, धरा की सुंदरता को प्रतिपल अविश्वमरणीय बना रही हैं. साथ ही रोहतासगढ़ का किला, शेरगढ़ का किला और चौरासन मंदिर पौराणिक गाथाओं व सांस्कृतिक विरासत की याद दिला रही हैं. वहीं वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह ने वीडियो को ट्वीट करते हुए लिखे हैं कि, ‘कैमूर वाइल्डलाइफ सेंचुरी में एक बार जरुर पधारें’.
मालूम हो कि एक ओर जहाँ वन और उसका स्वरूप कम हो रहा है, वहीं रोहतास एवं कैमूर अपनी गोद में आज भी इन्हें संजोए हैं. खासतौर पर वर्षा ऋतु के आगमन के साथ ही कैमूर पहाड़ी की वादियां मनोरम छटा बिखेर देती हैं.
रोहतास वन प्रमंडल पदाधिकारी प्रद्युमन गौरव ने बताया कि इको टूरिज्म के दृष्टीकोण से रोहतास एवं कैमूर वन क्षेत्र के महत्वपूर्ण स्थलों की ड्रोन वीडियोग्राफी करायी गयी हैं. साथ ही रोहतास एवं कैमूर जिले में अवस्थित कैमूर वाइल्डलाइफ सेंचुरी के अंदर स्थित बारह वाटरफॉल्स की कैलेंडर भी बनवाया गया था. जिसे साल के पहले दिन पटना में माननीय उपमुख्यमंत्री द्वारा जारी किया गया.