11.82 लाख के नकली नोट संग रोहतास के दो सगे भाई समेत तीन गिरफ्तार, मशीन भी बरामद; जेल से मिला था आइडिया

कैमूर जिले से सटे चंदौली जिले के स्वाट और सर्विलांस टीम ने बलुआ थाना के सहयोग से नकली नोट छापने वाले गिरोह के तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने उनके पास से 11.82 लाख से अधिक नकली करेंसी, प्रिंटर समेत नोट छापने में इस्तेमाल होने वाले अन्य उपकरण बरामद किए हैं. गिरफ्तार लोगों में रोहतास जिले के बघैला थाना क्षेत्र के भलुवाही गांव निवासी सगे भाई गोपाल कुमार पांडेय व गोकुल कुमार पांडेय और कैमूर जिले के दुर्गावती थाना क्षेत्र के मसौढ़ा गांव निवासी सोनू यादव शामिल हैं.

पुलिस ने इनके खिलाफ राष्ट्रदोह समेत संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया. चंदौली एएसपी चिरंजीवी मुखर्जी के मुताबिक आरोपी काफी दिनों से नकली नोट छापने का काम कर रहे थे. पुलिस ने आरोपियों को माधोपुर-धीना मार्ग से गिरफ्तार किया है. पुलिस ने बताया कि आरोपी 10, 20, 50, 100, 200 और 2000 के नोट छापते थे. तीनों यूपी, बिहार से लेकर पश्चिम बंगाल तक नकली नोटों की सप्लाई करते थे. सूत्रों के अनुसार अपराधियों के पास से मिले नकली नोटों को देख पुलिस की टीम हैरान रह गई. बहुत ध्यान से देखने पर ही नोटों की कटिंग में कमियां मिलीं. आम तौर पर रोशनी में देखे जाने पर नीली-पीली तार समेत महात्मा गांधी की तस्वीर असली नोटों की तरह ही निकली.

पूछताछ में नोटों के सौदागरों ने खुलासा किया कि प्रिटर मशीन से नोटों की कॉपी करने के बाद उसे असली बनाने के क्रम में वह विशेष रूप से बने नीली-हरी पट्टी का टेप उसपर चिपकाते थे. साथ ही महात्मा गांधी के चेहरे का बने डाई (सांचा) से प्रेस कर उसका अक्स नोटों पर उतार देते थे. इससे कोई जांचने के लिए जब उजाले में इन नोटों को देखता तो उसे नोट के बीच में चमकीली नीली-हरी पट्टी समेत गांधी जी के चेहरे का पूरा अक्स असली नोटों की तरह दिखता है. गिरफ्त में आए अपराधियों के अनुसार उन्होंने नकली नोट छापने के लिए असली नोट के कागज पटना के एक दुकान से खरीदा था. यह कागज असली नोट के कागज से बहुत कुछ मिलता जुलता दिखता है. नोट का कागज खरीदने के लिए इन्होंने कई दुकानों की खाक छानी थी.

अपराधियों के अनुसार सबसे पहले नोट हाथ में आते ही उसके कागज से ही लोगों को शक हो जाता है कि यह नकली है. इसलिए उन्होंने असली नोट से ही मिलता जुलता कागज खरीदा था. अपराधियों में गोपाल पांडेय 2014 में बिहार से सटे सैयदराजा थाना क्षेत्र में हत्या के प्रयास में जेल भेजा गया था. गोपाल के अनुसार जेल में उसकी मुलाकात शातिर अपराधियों से हुई थी जो नकली नोट के धंधे में पकड़ाए थे. उन्हीं की संगत में रहकर जल्द से जल्द अमीर बनने की चाह में उसने भी नकली नोट छापने के धंधे में आकर गिरफ्तार हो गया. इस धंधे में उसने अपने छोटे भाई को भी शामिल कर लिया था.

नकली नोटों के गिरोह का मास्टर माइंड व सरगना पटना का निवासी है. पूछताछ में इन अपराधियों ने खुलासा किया कि मास्टर माइंड के ही कहने पर वे चंदौली में नोटों की खेप दूसरी बार पहुंचाने आए थे. पुलिस इनसे पूछताछ के आधार पर गिरोह के मास्टर माइंड व सरगना की गिरफ्तारी के प्रयास में जुटी है. नकली नोटों के साथ नोट बनाने में प्रयुक्त उपकरण, नोटों के कागज, प्रिटर आदि संग पकड़े गए अपराधियों ने खुलासा किया कि उन्होंने नकली नोटों को छापने के लिए पोर्टबुल व्यवस्था कर रखी थी. सरगना के निर्देश पर वह दस रुपये से लेकर दो हजार के नोटों को कहीं भी छाप कर इसे खरीदने वाली पार्टी को दे सकते थे.

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