एक तरफ जहां कैमूर वन्य क्षेत्र में वन्यजीवों के संरक्षण के लिए समाज का हर तबका प्रयत्नशील है, वहीं, दूसरी ओर कैमूर वन्य क्षेत्र में रहने वाले वन्य जीवों पर तस्करों का साया पड़ चुका है. रविवार को तस्करों के गैंग का पर्दाफाश होने के बाद क्षेत्र में वन विभाग की चुनौती काफी हद तक बढ़ गई है, वहीं वन विभाग की चौकसी के दावे पर सवाल भी उठ रहे हैं. विदित हो कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) द्वारा गठित टीम के अध्यक्ष व भाजपा सांसद राजीव प्रताप रुडी ने संसद में 1100 वर्ग किलोमीटर में फैले कैमूर वन्य क्षेत्र को टाइगर रिजर्व बनाने की मांग कर चुके है. ऐसे में यहां से विलुप्त जीवों की तस्करी पर सवाल उठना लाजमी है.
कैमूर पुलिस ने शनिवार और रविवार को छापेमारी कर सात तस्करों को गिरफ्तार किया था. इनके पास से तेंदुआ की खाल, हिरण की नाभी से निकाला गया कस्तूरी, पेंगोलिन का पांच किलो स्केल, भालू का बाल, दोमुंहा साप, तेंदुआ को पकड़ने वाला औजार, कई जानवरों के बाल और दांत के साथ ही एक कछुआ भी मिला था. कैमूर पुलिस ने यह कार्रवाई देश की राजधानी दिल्ली में काम करने वाली वाइल्ड लाइफ एजेंसी डब्ल्यूसीसीबी की सूचना पर की थी. तस्करों के इतने बड़े गैंग की सक्रियता की खबर स्थानीय पुलिस या वन विभाग को अपने सूत्रों से नहीं मिल सकी. हालांकि दिल्ली से मिली सूचना पर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की और कामयाबी हाथ लगी.
कैमूर एसपी दिलनवाज अहमद ने बताया कि तस्कर बहुत जल्द ही ये सारा सामान बेच देने वाले थे. इनकी तलाश में भभुआ के कई जगहों के साथ ही अधौरा प्रखंड के बड़वान कला में भी छापेमारी हुई. उन्होंने बताया कि तस्करों के कनेक्शन को खंगाला जा रहा है. इस मामले में जांच अभी जारी रहेगी. पुलिस के मुताबिक शनिवार को ही भभुआ के एक होटल में वन्य जीवों से जुड़े सामान की डिलिंग होनी थी.
इस मामले में पश्चिम बंगाल के देवा कुमार, रोहतास जिले के नोखा के नागेंद्र कुमार सिंह, भभुआ थाना क्षेत्र के ढढ़नियां गांव के सुमंत कुमार सिंह और रोहतास के ही चेनारी थाना के बड़की चेनारी के अमित कुमार को पकड़ा गया है. गिरोह का सरगना यूपी के सोनभद्र जिले के रायपुर थाना के सरईगढ़ निवासी मनोज कुमार है. उसे भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. इसके अलावा मामले में आदित्य कुमार और एक अन्य युवक को गिरफ्तार किया जा चुका है.