रोहतासगढ़ किला परिसर में अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के तत्वावधान में रविवार को 17 वां रोहतासगढ़ तीर्थ यात्रा महोत्सव मनाया गया. इस दौरान मानर की थाप से कैमूर की वादी गुंजायमान हो उठी. देश के विभिन्न प्रांतों से आए आदिवासी समुदाय के लोगों ने किला परिसर में स्थित ऐतिहासिक करम वृक्ष की पूजा अर्चना की और महिला-पुरूष पारंपरिक आदिवासी नृत्य गीत के साथ मानर की थाप पर जमकर थिरके. अपनी मिट्टी को नमन करते हुए उनलोगों ने अपने पूर्वजों के प्रति आस्था प्रकट की.
उक्त महोत्सव कार्यक्रम की शुरुआत प्रांतीय संगठन मंत्री नीतीश कुमार एवं वनवासी कल्याण आश्रम के जिला अध्यक्ष गोविन्द नारायण सिंह ने दीप प्रज्वलित कर किया. महोत्सव के अवसर पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने रोहतास गढ़ किला व आदिवासी समुदाय के इतिहास पर विस्तार से प्रकाश डाला तथा इसके विकास कराने की मांग सरकार से की गई. छत्तीसगढ़ के पूर्व वन मंत्री गणेश राम भगत के नेतृत्व में आई नृत्य मंडली ने कुड़ूख भाषा में गीत नृत्य कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया. झारखंड के गढ़वा जिला के मंडरिया से महेश सिंह खरवार के नेतृत्व में ‘कहा बसे रामचंद्र कहा बसे सीता, इनके वंश में रहे हरिश्चंद्र आऊर माता शव्या के पुत्र रहे रोहित’ गीत से समा बांध दिया.
जबकि गुमला के अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा स्थापित बालिका छात्रावास की छात्राओं ने ईश्वर दर्शन, श्रीकृष्ण दर्शन एवं प्रकृति पूजा समेत विभिन्न विधाओं पर गायन किए जाने वाले कुडूख भाषा के मजन गाकर लोगों का मन मोह लिया. सभी आगंतुक अतिथि शनिवार की रात से ही किला परिसर में पहुंचकर डेरा डाल दिए थे. रविवार के प्रातः काल किला परिसर से पैदल रोहितेश्वर धाम जाकर महादेव की पूजा अर्चना किए. तत्पश्चात किला परिसर में पहुंचे और ऐतिहासिक करम वृक्ष के अलावा गणेश मंदिर में पूजा अर्चना कर किला का भ्रमण किया. इस दौरान आसपास के गावों में अपने रिश्तेदारों से मिलकर उनका कुशलक्षेम जाना.
अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा 17 वां रोहतासगढ़ महोत्सव समारोह में पहुंचे आदिवासी बंधुओं को रोहतासगढ़ किले पर अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया. मौके पर पूर्व जिला पार्षद अधौरा डोमा सिंह खरवार, पूर्व मुखिया सुग्रीव सिंह खरवार, वकील खरवार, मोती उरांव, महेंद्र प्रताप सिंह, भूपेन्द्र नारायण सिंह, प्रेम पाठक समेत हजारों लोग मौजूद रहे.