छठ महापर्व बिहार, झारखंड, पूर्वांचल एवं नेपाल के मधेस इलाके का प्रमुख पर्व है. यह चार दिवसीय पर्व है और इस पर्व को मनाने के लिए लोग अपने काम से छुट्टी लेकर विशेष तौर पर आते हैं. इस क्षेत्र के लोगों के लिए यह पर्व कैसे और कितना महत्वपूर्ण है, इसे लेकर एक मैसेज सोशल मीडिया में वायरल है. यह वायरल मैसेज एक कविता के रूप में हैं. यह कविता मूलत: पटना के एक पत्रकार कुमार रजत की है. पढ़ें यह वायरल मैसेज:-
ये छठ जरूरी है धर्म के लिए नहीं। समाज के लिए। हम आप के लिए जो अपनी जड़ों से कट रहे हैं।
ये छठ जरूरी है उन बेटों के लिए जिनके घर आने का ये बहाना है। उस माँ के लिए जिन्हें अपनी संतान को देखे महीनों हो जाते हैं। उस परिवार के लिए जो टुकड़ों में बंट गया है।
ये छठ जरूरी है उस नई पौध के लिए जिन्हें नहीं पता कि दो कमरों से बड़ा भी घर होता है। उनके लिए जिन्होंने नदियों को सिर्फ किताबों में ही देखा है।
ये छठ जरूरी है उस परम्परा को जिन्दा रखने के लिए जो समानता की वकालत करता है। जो बताता है कि बिना पुरोहित भी पूजा हो सकती है। जो सिर्फ उगते सूरज को नहीं डूबते सूरज को भी सलाम करता है।
ये छठ जरूरी है गागर निम्बू और सुथनी जैसे फलों को जिन्दा रखने के लिए। सूप और दौउरा को बनाने वालो के लिए। ये बताने के लिए कि इस समाज में उनका भी महत्त्व है।
ये छठ जरूरी है उन दंभी पुरुषों के लिए जो नारी को कमजोर समझते हैं। ये छठ जरूरी है। बेहद जरूरी।
Thanks Very Very Thanks
chatt bahur jaruri hai