आने वाला दस नवंबर रोहतास जिले के लिए सबसे अहम दिन होगा. जहां एक तरफ विधानसभा चुनाव के वोटों की गिनती होगी, वहीं दूसरे तरफ रोहतास जिला 49वां वर्ष में प्रवेश करेगा. विजयी होने के बाद प्रत्याशी जिलेवासियों को जहां विकास का दिवास्वप्न दिखाएंगे, वहीं जिला बीते 48 वर्ष के विकास गाथा की हकीकत को बयां करेगा.
लेकिन जिला स्थापना दिवस को कोरोना महामारी व आदर्श आचार संहिता दोनों का मार झेलना पड़ेगा, बावजूद जिले के लोग दस नवंबर को उम्मीदों की नजर देखने को तैयार हैं. क्योंकि जिले में सिचाई, सड़क व रोजगार की समस्या सुरसा की तरह मुंह बाए खड़ी है. गौरतलब है कि 10 नवंबर 1972 को शाहाबाद से अलग होकर रोहतास नया जिला बना था. साढ़े चार दशक से अधिक का सफर तय करने के बाद भी विकास की रोशनी से कई इलाका अभी भी पिछड़ा है.
इस चुनाव में विकास व रोजगार सबसे अहम रहा है. चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी जिले में विकास की गंगा बहाने के साथ रोजगार के दरवाजे खोलने व सुरक्षा मुहैया कराने का वादा कर चुके हैं. अकबरपुर-अधौरा पथ, अमरा-बभनपुरवा पथ समेत एक दर्जन से अधिक महत्वपूर्ण ग्रामीण इलाके की सड़क नहीं बन सकी है. वहीं महदेवा व बेलवई सिंचाई परियोजना अधर में लटकी है तो दुर्गावती जलाशय परियोजना से जिले के किसानों को पानी नसीब नहीं हो रहा है. करवंदिया पहाड़ एवं जिले के बंद पड़े राइस मीलों को चालू करा रोजगार मुहैया कराना जनप्रतिनिधियों के लिए चुनौती समान होगा.