प्रशासनिक अदूरदर्शिता से सासाराम में जाम बनी लाइलाज बीमारी, बेबस शहरवासी

वैसे तो सासाराम शहर में जाम की समस्या अब एक लाइलाज बीमारी बन गई है. आम हो या खास, उन्हें हर रोज जाम की समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है। इससे निजात दिलाने की सभी प्रशासनिक कवायद भी अबतक बेअसर साबित हुई है. नप व सुरक्षाकर्मियों के लिए अत्क्रिमण हटाओ अभियान भी कमाई का जरिया बन कर रह गई है. टैक्स लेने के बाद भी आजतक नगर परिषद रौजा रोड व पुरानी जीटी रोड के किनारे लगने वाली सब्जी दुकानों को स्थाई रूप से स्थान नहीं दे पाई है. वन वे ट्रैफिक से लेकर नो इंट्री का आदेश प्रभावी हो जाने के बाद भी जाम की समस्या बरकरार है.;

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लोगों को यह उम्मीद थी कि बस अड्डा के शहर से हटने के बाद जाम से मुक्ति मिलेगी. लेकिन बस अड्डा को शहर से हटे करीब आठ माह से अधिक समय हो गए लेकिन समस्या ज्यों की त्यों मुंह बाएं खड़ी है. नया बस स्टैंड चालू होने के बावजूद सासाराम से पटना-आरा, कोचस-बिक्रमगंज, डेहरी-औरंगाबाद की तरफ जाने वाली बसें अभी भी पुरानी बस स्टैंड से ही खुलती हैं, जो रेंगती हुई पोस्ट ऑफिस चौक को पार करती है. जबकि जिला प्रशासन ने इसके पूर्व कई बार यात्री वाहनों को रेंगते हुए नहीं ले जाने का फरमान चालकों को दे रखा है.

सासाराम शहर में लगा जाम

हालत यह है कि सासाराम शहर के मुख्य चौक पोस्ट ऑफिस चौराहा पर तो सालों भर जाम की स्थिति बनी ही रहती है. अब शहर में जाम का दायरा पोस्ट ऑफिस चौक से निकल पूर्व दिशा में धर्मशाला रोड व बौलिया-न्यूएरिया तक पहुंचने लगा है. वहीं पश्चिम दिशा में यह जाम करगहर मोड़, कचहरी से ले काली स्थान व प्रभाकर मोड़ तक पहुंच गया है. शहर में बढ़ते वाहनों की संख्या व ट्रैफिक नियमों का आमलोगों द्वारा लगातार उल्लंघन करने से जाम की समस्या अब नासूर की तरह हो गई है.

लगभग एक माह से शहर में विधानसभा चुनाव को ले प्रशासनिक गतिविधियां चल रही थी. लेकिन हैरत की बात है कि चुनाव काल में भी इस शहर को जाम से मुक्ति नहीं मिली थी. वहीं सोमवार को तो जैसे शहर के साथ जिले के हजारों वाहन एक साथ शहर में आ गए. नतीजा रहा कि पोस्ट ऑफिस चौक से ले प्रभाकर मोड़, गौरक्षणी महावीर मंदिर व बौलिया रोड तक वाहनों का अंतहीन काफिला लग गया. कहने को तो शहर के मुख्य चौराहों पर पुलिस बल की तैनाती की गई है. बावजूद इसके शहर में जाम की समस्या बनी रह रही है.

सोमवार को भी सुबह 11 बजे से जाम लगी तो एक दिन पूर्व शहर में करीब तीन घंटे तक जाम लगा रहा. जाम में फंसे कई वाहन चालकों ने कहा कि अब तो प्रशासनिक अधिकारी भी रोजाना इस जाम में फंसते हैं लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिफर. यह भी सच्चाई है कि प्रशासनिक अधिकारियों का अमला लगभग प्रतिदिन इस जाम में फंसते रहा है. लेकिन इस पर कोई संज्ञान लेने की जहमत किसी ने नहीं उठाया. सासारामवासियों की माने तो प्रशासन की दृढ़ इच्छा शक्ति का अभाव व अदूरदर्शिता के कारण शहर में जाम आज लाइलाज बीमारी बन गई है, अन्यथा शहर को जाम की समस्या से निजात दिलाया जा सकता है.

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