रोहतास जिला की गाथा सुनाती यह कविता

भारत भूमि में जन्म लिए..
राजा हरिश्चन्द्र महान।
रघुकुल के दिव दीप..
जिनकी रोहित संतान।
पावन धरा साकेत में..
था जनपद रोहितास।
मगध की उर्वर भूमि..
है सही नहीं उपहास।
था मुगलों का प्यारा सुबा..
धन दौलत से आबाद।
अफगानों के शासन में..
था बन गया शाहाबाद।
रोहित का शासन देखा..
सूरी मुगलों का इतिहास।
सन उन्नीस सौ बहतर में..
नया जिला बना रोहतास।
वायव्य पावन बक्सर है..
है अगिन अरण्य स्थान।
नैरूठि में बसें मुण्डेश्वरी..
आदित मंदिर देव ईशान।
पाश्च्य बसे हर की काशी..
प्राच्य बहत सोन का धार।
दक्षिण दिशि कैमूर गिरि..
है उत्तर को कहत हेठार।
मिलता ग्रेनाईट चूना पथर..
बिकता बालू खान खनिज।
ताल तलैया भरे पड़े हैं,
खिलत हैं कुसुम सरसिज..
पर्वत पर पावन स्थित है,
श्री माता ताराचंडी स्थान।
पुराणों में चर्चा मिलती..
जन-जन गावत गान।
है ठोर नद के पश्च बसा..
एक रम्य पोंगाढ़ी ग्राम।
दिव्य वातायन में स्थित..
है माँ शक्ति का धाम।
भू भलुनी के बियावान में..
है माता याक्षिणी का पीठ।
सहस्त्राबाहू की भूमि यही..
चेनारी गुप्ता बसे शिवपिष्ट।

GUPTA DHAM
गुप्ताधाम

मोहनपुर सरकार बसत हैं..
बाँटत गुरु ब्रह्मर्ष का ज्ञान।
राजपुर में सूरसरि तट पर..
है इनका मूल स्थान।
बिक्रमगंज में काव तीरे..
है माँ अस्कामिनी निवास।
भूत प्रेत से शापित जन..
करे घिनहू ब्रह्म का आस।
धरकंधा है ग्राम पुरातन..
रहत जहँ दरिया संत।
गौरक्षिणी बजरंगबली का..
महिमा है अगम अनन्त।
गढ़ रोहतास गिरि ऊपर..
है हरिश्चन्द्र का किला।
सासाराम में कब्र शाह का..
कोचस का कंसलीला।
इन्द्रपुरी से नहरें निकलीं..
करतीं अवनि को गीला।
नोखा में हैं राईस मिलें..
यह धान धन्य है जिला।
कसबा कोआथ में बिके..
मिठाई बेलगरामी।
सुदूर बराँव में बनता है..
मीठका समोसा नामी।
कैमूर पर्वत अँचल में..
हैं जलप्रपात जलकुंड।
बाघ चीता संग भ्रमत है..
तीतर हारिल का झुंड।
क्या लिखूँ मैं निरा मूर्ख..
अब शब्द नहीं मेरे पास।
रहता हूँ सुरवार बराढ़ी..
जहँ निर्गुन ब्रह्म का बास।

“लेखक- अमरेन्द्र कुमार सिंह” 

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