डीएम धर्मेंद्र कुमार ने शुक्रवार को डीआरडीए सभागार में रोहतास जिले के राइस मिलरों के साथ बैठक की. मुख्यालय के निर्देश पर आयोजित बैठक में जिले भर से सैकड़ो राइस मिलर उपस्थित हुए. मिलरों को संबोधित करते हुए डीएम ने कहा कि अगले वर्ष से सीएमआर के रूप में बिहार में सिर्फ उसना चावल ही लिया जाना है. मुख्यमंत्री का ये निर्देश है कि उसना चावल स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से उत्तम है और प्रदेश में 80 फीसदी लोग उसना चावल ही खाना पसंद करते हैं. इसलिए अगले वर्ष से खाद्य आपूर्ति विभाग उसना चावल देने वाले मिलों को चिन्हित करे.
राइस मिलरों से कहा कि आपलोग उसना चावल बनाने के लिए आधारभूत संरचना विकसित करने में लग जाएं. डीएम ने इस वर्ष बिहार में सबसे ज्यादा रिकॉर्ड अधिप्राप्ति करने के लिए जिले भर के मिलरों को धन्यवाद दिया. कहा कि जिला उद्योग केंद्र के द्वारा उसना चावल मिल बैठाने वालों के लिए बैंक ब्याज में 10 फीसद का अनुदान सरकार की तरफ से उपलब्ध करवाने व जीएसटी में छूट दिलवाने की व्यवस्था कराई जाएगी.
राइस मिलर संघ व जिला पैक्स अध्यक्ष संघ के जिलाध्यक्ष मनोज कुमार पटेल ने निर्णय पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता बताई. कहा कि राज्य सरकार अब तक सीएमआर के रूप में अरवा चावल ही लेती आ रही है. इसी क्रम में जिले के लगभग 50 पैक्सों को अरवा चावल मिल कर्ज पर उपलब्ध कराया गया है. इसके साथ ही जिले में लगभग 400 निजी अरवा मिल कार्यरत है जो अधिप्राप्ति का कार्य करती हैं, लेकिन सरकार के इस निर्णय से यह सभी मिले बंद हो जाएंगी तथा बैंकों का कर्ज भी बढ़ेगा. मिलर सह पैक्स अध्यक्ष अजित कुमार सिंह ने कहा कि मिल बैठाने में कम से कम तीन करोड रुपए की लागत आती है, जो सभी के बस की चीज नहीं है. हमारी सरकार से मांग है कि उसना के साथ जिले में चल रहे हैं अरवा राइस मिलों को भी मिलिग का विकल्प दिया जाए क्योंकि शाहाबाद क्षेत्र में आज भी 70 फीसद लोग अरवा चावल ही खाना पसंद करते हैं.