रोहतास जिले में चोरों ने नटवरलाल को भी मात दे दी है. चोरों ने सिंचाई विभाग का कर्मी बन लोहे के पुराने पुल को दिनदहाड़े जेसीबी से उखाड़ दिया और पिकअप पर लाद कर आराम से चलते बने. विभाग को इस पूरी घटना की भनक तक नहीं लगी. चोरी के तीन दिन बाद विभाग ने अज्ञात चोरों पर प्राथमिकी दर्ज कराई है. यह पुल लगभग 60 फीट लंबा और 12 फीट ऊंचा था. हालांकि इस पुल का इस्तेमाल नहीं हो रहा था.
बताया जाता है कि कुछ लोग खुद को सिंचाई विभाग का अधिकारी बताकर आए और नहर पर बने लोहे के पुराने पुल को काटना व उखाड़ना शुरू कर दिया. चोरों ने 3 दिनों में पुल को गैस कटर से काट दिया और जेसीबी से उसे उखाड़ कर गाड़ी पर लाद लिया और आराम से चलते बने. बाद में पता चला कि वे सिंचाई विभाग के अधिकारी नहीं, बल्कि चोर थे. हकीकत जानकर जहां ग्रामीण भी हैरत में पड़ गए तो दूसरी तरफ स्थानीय पुलिस-प्रशासन में भी इस घटना से खलबली मची है.
सबसे मजे की बात है कि सिंचाई विभाग के अधिकारी होने का झांसा देकर चोरों ने स्थानीय विभागीय कर्मियों की मदद भी ली और उनकी मौजूदगी में पूरा पुल चुरा लिया. स्थानीय कर्मचारियों की मौजूदगी में चोर पुल को काट-काट कर पिकअप पर लादकर ले जाते रहे. यह क्रम तीन दिनों तक चलता रहा, लेकिन न तो स्थानीय कर्मचारियों और न ही आलाधिकारियों को इसकी भनक तक लग सकी. ग्रामीणों का कहना है कि वे लोग कुछ विभागीय कर्मियों को भी इस दौरान मौके पर देखा था, जो इलाके के मौसमी कर्मचारी हैं. वे लोग समझ रहे थे कि सिंचाई विभाग के अधिकारी क्षतिग्रस्त पुल को हटा रहे है और पूरा पुल ही चोरी हो गया.
ग्रामीण जीतेंद्र सिंह ने बताया कि पहले नहर पर कोई पुल नहीं था. लोग नाव से आर-पार करते थे. वर्ष 1966 में यात्री से भरी नाव नहर के गहरे पानी में डूब गई, इस हादसे में दर्जन भर लोगों की जान चली गई थी. इसके बाद 1972 से 1975 के बीच नहर पर उक्त पुल का निर्माण तत्कालीन सरकार ने कराया था. पुल के आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त होने पर इसके समानांतर कंक्रीट पुल का निर्माण किया गया है. अब पुराना लोहे का पुल इस्तेमाल में नहीं था, इस कारण भी लोगों ने सोचा कि विभाग इसको हटा रहा है. मामले में शनिवार को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर सरकार पर तंज कसा है. उन्होंने ने ट्वीट कर कहा कि 45 वर्ष पुराने लोहे के पुल को 17 वर्षों की भाजपा-नीतीश सरकार ने दिनदहाड़े लुटवा दिया.