रोहतासगढ़ किला के समीप मिली मध्यकालीन प्रतिमा, हाथ में शंख-गदा लिए नजर आए भगवान विष्णु

अपने आगोश में मानव सभ्यता विकास की कहानी संजोए कैमूर पहाड़ी पर रोहतासगढ़ किला के समीप खोदाई में एक प्राचीन प्रतिमा मिली है. यह प्रतिमा भगवान विष्णु की बताईं जा रही है. प्रतिमा के बाएं निचले हाथ में शंख है, जो हथेली के सहारे उंगलियों को ऊपर की ओर मोड़कर पकड़ा गया है. बाएं उठे हुए हाथ में सुदर्शन चक्र है, जिसका पूरा भाग सामने की ओर दिखाई पड़ रहा है.

इसे बाहर की ओर से चार अंगुलियों को मोड़कर पकड़ा गया है. दायें निचले हाथ में फल है. इसे बाहर की ओर से चार अंगुलियों को मोड़कर पकड़ा गया है. दाएं ऊपरी हाथ में गदा है, जिसका पेंदा ऊपर की ओर है. गदा की मूठ नीचे है. गदा की मूठ और पेंदा दोनों गोल एवं फांकदार हैं. दोनों पैरों के अगल-बगल और निचले हाथों के आयुधों के नीचे शंख पुरुष तथा गदा देवी बनी हुई हैं, जो अपने आयुधों को धारण की हुई हैं. विष्णु के सिर के ऊपर टोप बना हुआ है. उसपर अलंकरण है. टोप से नीचे मुख भाग के दोनों ओर कंधों तक घुंघराले बाल लटक रहे हैं.

ग्रामीणों के अनुसार, रोहतासगढ़ किला से पश्चिम सावनसोत नदी के किनारे एक किसान के खेत में मिट्टी खुदाई के दौरान रविवार को यह प्रतिमा मिलने की बात कही जा रही है. जिसे देखने के लिए लोगों की काफी भीड़ जुटने लगी. स्थानीय लोगों ने उक्त प्रतिमा सफाई कर चौरासन मंदिर के समीप देवी मंदिर में रखकर सावन के पहले सोमवारी से पूजा अर्चना भी आरंभ कर दी है.

रोहतास के इतिहासकार और पुरातत्ववेत्ता डॉक्टर श्याम सुंदर तिवारी के अनुसार, पटिए को काटकर बनी इस प्रतिमा में गले में आजानुलंबिनी वनमाला पड़ी है. यह कंधे के दोनों ओर से होकर हाथों के सहारे अंदर होती हुई घुटनों तक गई है. विष्णु जनेऊ पहने हुए हैं. गले में चौड़ा और पट्टीदार हार शोभायमान है. डॉ. तिवारी के अनुसार भगवान् विष्णु की इस प्रतिमा में कमर से नीचे धोती का पहनावा है. उसके ऊपर चौड़ी पट्टी का कटिसूत्र है. इस कटिसूत्र से ऊरुदाम (जंघे की लड़ी) लटक रही है. इनके पैरों में नूपुर, बाजूबंद, कंगन तथा कानों में लंबा कुंडल भी है. चेहरे पर मंद मुस्कान है. यह प्रतिमा मध्यकालीन युग की कला का सुंदर नमूना है. हालांकि पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग एवं शोद्धकर्ताओं द्वारा गहन जांच के बाद हीं इसके निर्माण का सही काल एवं अन्य जानकारी मिल पाएगी.

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