रोहतास: अफसरों और कर्मियों को दिया गया सीपीआर का प्रशिक्षण

जिला मुख्यालय सासाराम स्थित कलेक्ट्रेट के डीआरडीए सभागार में जयप्रभा मेदांता सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल पटना के डॉक्टर एवं एसडीआरएफ की टीम ने विपरीत परिस्थितियों में हृदय गति रूक जाने के बाद जीवन रक्षा करने के संबंध में अपनाई जाने वाली तकनीक का अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिए. प्रशिक्षण में जिले के अधिकारियों के अलावा विभिन्न विभागों के कर्मचारी शामिल हुए.

मेदांता समूह के डॉ अजय सिन्हा द्वारा बताया गया कि पर्यावरणीय स्थिति, खानपान, शारीरिक निष्क्रियता, मोटापा, सुगर, तनाव एवं वशांनुगमता के कारण हार्ट अटैक एवं कार्डिएक अरेस्ट की घटनाएं बढ़ी हैं. करोना प्रभाव भी इन घटनाओं को बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कारण रहा है. एक आकड़े के अनुसार करोना के बाद कार्डिएक अरेस्ट व हार्ट अटैक में लगभग 50% की वृद्धि हुई है. डॉ सिन्हा द्वारा बताया गया कि हार्ट अटैक एवं कार्डिएक अरेस्ट दोनों एक नहीं है, दोनों अलग-अलग है. कार्डिएक अरेस्ट का कारण हार्ट अटैक हो सकता है. कार्डिएक अरेस्ट के मुख्य लक्षण बेहोश हो जाना, धड़कन (Pulse) बन्द हो जाना, एकाएक हार्ट का काम बंद कर देना, जिसे सामान्य भाषा मे हर्ट की बिजली गुल हो जाना, कह सकते है.

बताया कि सीपीआर इमरजेंसी की हालत में इस्तेमाल की जाने वाली एक मेडिकल थैरेपी की तरह है. सीपीआर का पूरा नाम “कार्डियो पल्मोनरी रिससिटैशन” (Cardiopulmonary resuscitation) है. इससे कार्डियक अरेस्ट और सांस न ले पाने जैसी आपातकालीन स्थिति में व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है. उन्होंने कहा कि सीधे शब्दों में कहें तो कई बार किसी व्यक्ति की अचानक सांस रुक जाती है या फिर कार्डिएक अरेस्ट की स्थिति में किसी को सांस नहीं आती है तो सीपीआर दिया जाता है. जिसकी वजह से 70 से 80 प्रतिशत लोगों की जान बचाई जा सकती है.

एक तरह से सीपीआर में बेहोश व्यक्ति को सांसें दी जाती हैं. जिससे फेफड़ों को ऑक्सीजन मिलती है. साथ ही इससे शरीर में पहले से मौजूद ऑक्सीजन वाला खून संचारित होता रहता है. अगर व्यक्ति की सांस या धड़कन रुक गई है तो पर्याप्त ऑक्सीजन के बिना शरीर की कोशिकाएं बहुत जल्द खत्म होने लगती हैं. वहीं, इसका असर दिमाग पर भी पड़ता है. जिससे गंभीर व्यक्ति की मौत भी हो जाती है. ऐसी स्थिति में अगर सीपीआर दिया जाता है तो कई जानें बचाई जा सकती हैं. इससे जान बचने की संभावना बढ़ जाती है. कार्यशाला का संचालन वरीय उप समाहर्ता नेहा कुमारी ने किया.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here