रोहतास में जिला अदालत ने एक नाबालिग से दुष्कर्म करने के बाद हत्या के आरोपी को दोषी करार देते हुए गुरुवार सजा-ए-मौत का फैसला सुनाया है. एडीजे प्रथम मनोज कुमार की अदालत ने सुनवाई करते हुए बक्सर के धनसोई निवासी शाहिद को फांसी की सजा दी है. साथ ही 76 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. दुष्कर्म और हत्या की यह घटना 16 जून, 2009 को हुई थी.
सजा सुनाते हुए अदालत ने कहा कि करगहर थाना क्षेत्र के एक गांव की उस बिटिया के साथ यह दरिंदगी हुई, जिसके सिर पर पिता का साया नहीं था. अनपढ़ मां के लिए तंगी से जूझ रही थी, उसके लिए दो वक्त की रोजी-रोजी का जुगाड़ करना मुश्किल था. ऐसी नाबालिग लड़की से दोषी का कृत्य मानव नहीं दानव का रहा है. इसलिए उसे समाज के बीच रहने का अधिकार नहीं है. दोषी को मौत की सजा सुनाई जाती है.
बता दें कि यह घटना उस वक्त हुई, जब मृतका गोबर के उपले बनाकर अपने घर लौटी और उस वक्त उसके घर में कोई नहीं था. वह अकेली थी. तभी आरोपी ने घर में घुसकर पहले नाबालिग से दरिंदगी की और फिर गला दबाकर हत्या कर दी थी. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि जब बेटी घर में सुरक्षित नहीं तो बाहर उसके सुरक्षित होने की क्या ही उम्मीद की जा सकती है.
शाहिद को मृत्युदंड की सजा सुनाते हुए कहा कि इस घटना को विरलतम से विरलतम की श्रेणी में रख मृत्युदंड की सजा सुनाई गई है. साथ ही 76 हजार का अर्थदंड भी लगाया गया. कोर्ट ने कहा कि जब शाहिद ने इस घटना को अंजाम दिया, उस समय उसकी उम्र 42 वर्ष थी.
अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता अपर लोक अभियोजक विद्यासागर राय ने बताया कि घटना 16 जून 2009 की है. बक्सर के शाहिद की दिनारा के महबूब मार्केट में किराना दुकान थी. करगहर थाना क्षेत्र में शाहिद की बहन का घर था, जहां वो हमेशा आता-जाता था. 16 जून 2009 को भी वो आया हुआ था. इसी दिन उसकी नजर पड़ोस की 17 वर्षीय किशोरी पर पड़ी थी. शाहिद ने किशोरी को घर में अकेला पाकर उसके साथ दुष्कर्म किया था. किसी को पता नहीं चले, इसलिए किशोरी को गला दबाकर मार डाला था.
मामले में कोर्ट में कुल 11 लोगों की गवाही दर्ज हुई थी. जिसके बाद कोर्ट ने दोषसिद्ध अभियुक्त शाहिद पर IPC की धारा 448 में एक साल कैद व 1000 जुर्माना, धारा 376 में 25000 जुर्माना सहित आजीवन कारावास और धारा-302 में 50 हजार जुर्माना सहित फांसी की सजा सुनाई है.