सड़क दुर्घटना में सिर्फ व्यक्ति की ही मौत नहीं होती बल्कि उसका भरा पूरा परिवार ही बिखर जाता है. किसी के सर से पिता का साया उठता है, किसी के जीवन साथी का साथ छूटता है तो किसी के बुढ़ापे की लाठी गुम हो जाती है. इस दर्द की भरपाई पीड़ित परिवार आजीवन नहीं कर पाता है. सड़क सुरक्षा जागरूकता को लेकर जिला प्रशासन व पुलिस द्वारा लगातार अभियान चलाने के बावजूद दुर्घटनाओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है, और ना ही लोग हादसों से सबक लेकर सावधानियां बरत रहे हैं.
सासाराम मुफस्सिल थाना क्षेत्र के बेदा मोड़ के समीप सोमवार को हुए सड़क दुर्घटना में स्कूटी सवार दो छात्रों की मौके पर ही मौत हो गई थी. मृतक छात्र शिवसागर थाना क्षेत्र के करुप गांव गांव निवासी स्व. सर्वजीत सिंह के 22 वर्षीय पुत्र प्रकाश कुमार व उसी गांव के रहने वाले अशोक सिंह के 20 वर्षीय पुत्र अंशुल कुमार थे. करूप गांव में बेटे अंशुल कुमार को मुखाग्नि देकर घर लौटे पिता की मौत हो गई. अशोक सिंह बेटे की मौत के सदमे को सहन नहीं कर पाए. उनकी तबीयत बिगड़ गई. परिजन उन्हें अस्पताल ले जा रहे थे. इसी क्रम में रास्ते में ही उनकी मौत हो गई.
सुबह बेटे और रात में पिता की मौत के बाद परिवार में कोहराम मच गया है. बताते हैं कि दोनों युवकों का अंतिम संस्कार गांव के पास ही किया गया. अंशुल को मुखाग्नि उसके पिता ने ही दिया था. अंतिम संस्कार से लौटने के बाद सदमे में चल रहे पिता अशोक कुमार की तबीयत भी बिगड़ गई. परिजन आनन-फानन में उन्हें अस्पताल ले जा रहे थे, इसी दौरान रास्ते में ही उनकी मौत हो गई. बताते हैं कि अशोक सिंह कचहरी में अधिवक्ता लिपिक का काम करते थे. उनकी दो बेटे और एक बेटी है. इनमें छोटे बेटे अंशुल की मौत सड़क दुर्घटना में हुई और सदमे में उनकी भी जान चली गई.
वहीं, प्रकाश के पिता की भी मौत दो दशक पूर्व सासाराम बाजार समिति के समीप सड़क दुर्घटना में हो गई थी. उस समय प्रकाश अपनी मां के गर्भ में था. पति के मौत के बाद पीड़ित मां ने अपने दोनों बेटों आकाश व प्रकाश के लालन पालन को अपना लक्ष्य बना धीरे-धीरे पति के गम से उबरने में लगी थीं. बीस साल बाद सड़क दुर्घटना ने ही उनके जवान पुत्र को भी हमेशा के लिए उनसे छीन लिया. इस गम से वो कबतक उबर पाएंगी ये कहा जाना मुश्किल है.