रोहतास में गर्मी के तेवर तल्ख होते ही गेहूं की खड़ी फसलों पर आग लगने की घटनाएं तेजी से बढ़ गई हैं. किसानों की आंखों के सामने उसकी मेहनत का सोना जलकर राख हो जा रहा है. मंगलवार को नोखा के धरमपुरा ओपी क्षेत्र के पड़वा व परसिया गांव में अगलगी की घटना में लगभग दो दर्जन किसानों के सैकड़ों एकड़ खेत में खड़ी गेहूं की फसल जल कर राख हो गई. ग्रामीणों और दमकल की टीम ने आग पर काबू पाया. वहीं इस घटना में एक महिला व उसकी मवेशी की आग में झुलसने से मौत हो गयी. जबकि एक अन्य महिला झुलसने से जख्मी हो गई है.
मृतक महिला परसिया गांव के हीरालाल साह की 60 वर्षीय पत्नी लीलावती देवी बतायी जाती है. बताते हैं कि लीलावती देवी के उस घर में भी आग की लपटे पहुंच गई, जिसमें पशु रखे गए थे. गाय को बचाने के क्रम में 60 वर्षीय लीलावती देवी झुलस गई और उनकी मौत हो गई. गाय की भी मौत हो गई. जबकि मुंशी सिह यादव की पत्नी लीलावती देवी झुलस कर जख्मी हो गई, जिनका इलाज नोखा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चल रहा है. अचानक अगलगी की इस घटना से किसानों व ग्रामीणों में हाहाकार मच गया. आक्रोशित ग्रामीणों ने बरांव-दिनारा पथ को कुछ देर के लिए जाम कर दिया. ग्रामीणों का आरोप है कि आगलगी की घटना 11 बजे घटी. इसकी सूचना स्थानीय अधिकारियों को देने के बाद भी फायर ब्रिगेड की गाड़ी लगभग दो घंटे बाद पहुंची.
आक्रोशित ग्रामीणों ने मौके पर पहुंची बड़हरी ओपी के पुलिस गाड़ी को पलट दिया. गाड़ी में लगे वारलेश को भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया. मौके पर बीडीओ रामजी पासवान, नोखा थानाध्यक्ष राजेश कुमार, धर्मपुरा ओपी अध्यक्ष ददन राम, जिला परिषद सदस्य मेलु मिश्र, बीडीसी ब्रिज बिहारी पांडे, वीरेंद्र सिंह ने समझा-बुझाकर के मामले को शांत कराया. बताया जाता है कि मंगलवार की दोपहर में पड़वा गांव में कहीं से चिंगारी उड़ी, जिससे अगलगी में लगभग दो हजार बीघे की गेहूं की फसल जलकर राख हो गई. मौके पर आग बुझाने के लिए पांच छोटी दमकल और एक बड़ी दमकल गाड़ी पहुंची, लेकिन वह भी असहाय नजर आईं. काफी मशक्कत के बाद ग्रामीणों के सहयोग से आग पर काबू पाया गया.
बताया जा रहा है कि पानी नहीं रहना भी दमकल की समस्या बनी. सरकार ने जल संचय के लिए जल जीवन हरियाली लागू की है, लेकिन सरकारी अधिकारियों की मनमानी के कारण यह धरातल पर नहीं उतर सका. जिसके कारण को पोखरे व आहार सूख गए. अगलगी के बाद दमकल गाड़ी को पानी की जरूरत थी, लेकिन पानी ना मिलने से दूर से पानी लाया गया. इस देरी में आग और बेकाबू होती चली गई.
इस आगलगी की घटना में पड़वा गांव के वैधनाथ सिंह का 13 बीघा, आशुतोष सिंह का सात बीघा, उमाशंकर सिंह का ढाई बीघा, भरत सिंह का ढाई बीघा, गोपाल शम्भू कुमार का 5 बीघा, राजू सिंह का 5 बीघा, किशुन सिंह का 7 बीघा, त्रिलोकी का पांच बीघा, वकील सिंह का 30 बीघा, कृष्ण बिहारी पांडे का डेढ़ बीघा, काशी पांडे का डेढ़ बीघा, ओमप्रकाश सिंह का तीन बीघा, शिवमुनि सिंह का 4 बीघा, रामाशंकर सिंह का 3 बीघा, परसिया गांव के धर्मेंद्र सिंह का 5 बीघा, रामप्रवेश राम का एक बीघा, श्रीनिवास यादव का 4 बीघा, रामाशंकर यादव का 4 बीघा, बुटन साह का 3 बीघा, मुरली तिवारी का 3 बीघा, परमेश्वर राम का 6 कट्ठा, वीर बहादुर राम का 10 कट्ठा, राजेंद्र साह का एक बीघा, कामेश्वर तिवारी का 10 बीघा, प्रमोद तिवारी का 20 बीघा, मंतोष का 2 बीघा, हीरा साह का 10 कट्ठा, भगवान कुमार का 6 बीघा, दशरथ का 4 बीघा, राम सुरेश तिवारी का 8 बीघा समेत कई किसानों की लगभग दो हजार बीघे की खड़ी गेहूं की फसल जलकर राख हो गई.