बिहार में कोरोना गाइडलाइन की पाबंदियों से छूट के बाद सांस्कृतिक आयोजनों की तैयारी शुरू हो गई है. कोरोना काल के बाद पहली बार कला संस्कृति व युवा विभाग सह जिला प्रशासन के तत्वावधान में पांच मार्च को रोहतासगढ़ किला पर वनवासी कल्याण महोत्सव आयोजित किया जाएगा. सरकार के स्तर से राज्य में वनवासियों के लिए होने वाला यह पहला महोत्सव है. जिला प्रशासन ने महोत्सव मनाने की तैयारी भी शुरू कर दिया है. जिसमें स्थानीय व राज्य के कई चर्चित कलाकार भी शामिल होंगे.
महोसव में मुख्य अतिथि के रूप में कला एवं संस्कृति मंत्री बिहार सरकार को आमंत्रित किया जाएगा. साथ ही जिला के सभी सांसद व विधायक को आमंत्रित किया जाएगा. मुख्य कार्यक्रम के दिन पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए रोहतास बाजार से रोहतासगढ़ किला तक बाइक रैली भी आयोजित किया गया है. महोत्सव स्थल पर स्थानीय कर्मकारों द्वारा निर्मित वस्तुओं के बिक्री के लिए स्टॉल भी लगाया जाएगा.
डीएम ने कहा कि वनवासी कल्याण महोत्सव के आयोजन का मुख्य उद्देश्य आदिवासी व जनजातीय संस्कृति की रक्षा के साथ-साथ रोहतासगढ़ किला तथा उसके आसपास के क्षेत्रों व गांवों में पर्यटन का विकास, वन उत्पादों की बिक्री के लिए राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थानीय उत्पादों, कलाकृतियों को प्लेटफार्म मुहैया कराना तथा रोजगार सृजन करना है.
उन्होंने कहा कि ऊरांव, चेरो एवं खरवार जनजातियां अपनी उत्पत्ति रोहतासगढ़ किले तथा उसके आसपास के क्षेत्रों से ही मानती है. 16 फरवरी को माघ पूर्णिमा के दिन करम वृक्ष की पूजा के साथ वनवासी कल्याण महोत्सव का आगाज हो गया है. मुख्य कार्यक्रम पांच मार्च को आयोजित किया जाएगा. महोत्सव में स्थानीय कलाकारों को प्राथमिकता दी जाएगी. मुख्य कार्यक्रम के दिन रोहतासगढ़ किले से चौरासन मंदिर तक संस्कृति रक्षा दौड़ का आयोजन किया जाएगा.
साथ ही चित्रकला एवं अन्य खेल प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाएगी. महोत्सव में बैगा पाहन अर्थात स्थानीय पुजारियों को भी सम्मानित किया जाएगा. सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेल-कूद इत्यादि का रूप रेखा तैयार करने के लिए एक समिति गठन किया गया है. विदित हो कि रोहतासगढ़ किला पर 2007 से अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा रोहतासगढ़ तीर्थ यात्रा महोत्सव का आयोजन किया जाता रहा है.