रोहतास: जीएनएस यूनिवर्सिटी में तीन दिवसीय वेब संगोष्ठी का समापन, प्रो राघवेंद्र मिश्र बोले- पत्रकारों के आर्थिक सुरक्षा हेतु वेतन आयोग का हो गठन

रोहतास जिले के जमुहार स्थित गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग और राजस्थान के मेवाड़ विश्वविद्यालय के मीडिया विभाग द्वारा सयुंक्त रूप से आयोजित त्रिदिवसीय वेबसंगोष्ठी के अंतिम सत्र में हिन्दी पत्रकारों की चुनौतियां और समाधान विषय पर अपने उद्बोधन में आये बतौर मुख्य अतिथि दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय के जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो आतिश पराशर और मुख्य वक्ता इंदिरा गांधी जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक के वोकेशनल एजुकेशन के विभागाध्यक्ष एवं पत्रकारिता विभाग के आचार्य प्रो राघवेंद्र मिश्र ने आज के पत्रकारिता के समक्ष उत्पन्न चुनौती की चर्चा की. प्रो पराशर ने वर्तमान पत्रकारिता पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज पत्रकारों को स्वयं पत्रकार साबित करना सबसे बड़ी चुनौती है, क्योंकि बदलते परिवेश में सूचनाओं को विभिन्न रूपो में प्रस्तुत किया जा रहा है. जिसमें वास्तविकता का लोप होता है और विश्वनीयता खतरे में पड़ जाती है. दूसरी समस्या है कि समाचार कौन है और प्रचार कौन है, इस परिपाटी ने पत्रकारिता को संकट में ला दिया है. इस समस्या से निजात पाने के लिए उन्होंने आज के पत्रकारों को विश्लेषणात्मक और सामाजिक सरोकार से जुड़ी लेखन पर ध्यान देने का सुझाव दिया. उनका मानना है कि पत्रकार आज कंटेन्ट राइटर के रूप में काम करता है जिसके कारण वह अपने उद्देश्य से भटक जाता है.

मुख्य वक्ता के रूप इंदिरा गांधी ट्राइबल विश्वविद्यालय के प्रो राघवेंद्र मिश्रा ने बेबाकी से पत्रकारिता के बदलते स्वरूप पर चिंता व्यक्त किया और व्याप्त प्रशासनिक कुरीतियों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि आज का पत्रकार आर्थिक रूप से इतना कमजोर है कि वह अपने सम्मान से समझौता करने लगा है. उसके लिए वेतन आयोग बनाना चाहिए. साथ ही उन्होंने सामाजिक व्यवस्था पर प्रहार करते हुए कहा कि जब कभी कोई  पत्रकार कुछ लिखने की हिम्मत करता है तो उसे प्रशासनिक कोपभाजन का शिकार होना पड़ता है. पक्षपाती बोला जाता है, जिससे उनका मनोबल टूटता है. आज ऐसे कई उदाहरण हैं जहाँ पत्रकारों को अपना बहुत कुछ खोना पड़ा. आज पत्रकार कई तरह के दवाब में हैं. आंचलिक पत्रकारों को खबर के अनुसार मानदेय प्राप्त होता है जो काफी कम होता है. जिससे उसका जीवन यापन मुश्किल हो जाता है. इसपर नियामक संस्थानों को सोचना चाहिए ताकि वह अपने उसूलों से समझौता ना करे. आर्थिक कमजोरी और असुरक्षा आज का सबसे बड़ा मसला है. वह बुद्धिजीवी तो है परंतु अपनी बुद्धि से दो वक्त का भोजन अपने परिवार के लिए जुटा नहीं पाता. एक और गंभीर समस्या है कि मीडिया संस्थानों के भीतर असामाजिक तबकों का कब्जा है जिससे मुक्ति पाना जरूरी है. ऐसे लोगों से अच्छा पत्रकार हमेशा दबाव महसूस करता है और विपरीत परिस्थितियों से हाथ मिलाना उसकी मजबूरी बन जाती है. ऐसे असमाजिक तत्वों के लिए पत्रकारिता धर्म का कोई मतलब नही होता.

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय के मीडिया विभाग के प्रो मनोज दयाल जी ने बताया कि आज समाचार पत्रों के आगे सबसे बड़ी चुनौती है उसे जिंदा रखने की।क्योंकि बिना अर्थ के लेखन या सम्पादन संभव नही है. आज का हर मीडिया ग्रुप इससे दो-दो हाथ कर रहा है इसके लिए मैं भी पूर्व के वक्ताओं की तरह एक ऐसे संगठन का हिमायती हूँ जो आने वाले पत्रकारों को आर्थिक सहायता प्रदान करें. साथ ही मीडिया अध्यन कराने के लिए विश्वविद्यालय में कुशल नेतृत्व अर्थात अच्छे अध्यापकों की कमी होना भी चुनौती है जिसे सरकार को पूरा करना चाहिए. उन्होंने अनेक  उदाहरण देते हुए कहा कि पत्रकारिता एक मिशन है। इस कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत मेवाड़ विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति आंनद वर्धन शुक्ल और गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय के डॉ अमित मिश्रा ने किया.

कार्यक्रम संयोजक डॉ अमित मिश्र ने अतिथियों का अभिनंदन करते हुए कहा कि  इस संगोष्ठी के आयोजन के पीछे का उद्देश्य यही है कि हम समस्या के साथ समाधान पर भी चर्चा करें ताकि आने वाली पीढ़ी पत्रकारिता की धार को और मजबूती प्रदान करे एवं आर्थिक सबलता के साथ पत्रकारिता का  सामाजिक मिशन पूरा हो. क्योंकि पूर्व के दो दिनों के संगोष्ठी के दौरान कई ऐसे सुझाव संबंधित विषय विद्वानों द्वारा दिए गए जिसका अनुसरण किया जाए तो निसंदेह पत्रकार और पत्रकारिता दोनों की चुनौतियों को आसानी से हल किया जा सकता है. कार्यक्रम के अंतिम सत्र में सुमित कुमार पांडेय द्वारा तीन दिन के संगोष्ठी सारांश का वाचन किया गया. अंत में गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी भूपेंद्र नारायण सिंह ने सभी वक्ताओं का धन्यवाद ज्ञापन कर सत्र का समापन किया. इस संगोष्ठी में आयोजक सचिव प्राध्यापक फेमिना हुसैन एवं प्राध्यापक पूजा कौशिक सहित देश के सैकड़ों प्रतिभागी और दोनों विश्वविद्यालय के अध्यापकों ने हिस्सा लिया.

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