72 वें गणतंत्र दिवस पर रोहतास जिले के कैमूर पहाड़ी पर अवस्थित ऐतिहासिक रोहतासगढ़ किला पर आन-बान-शान से तिरंगा लहराया. किले पर रोहतास थाना के एसआई धर्मेन्द्र कुमार राय ने अपने टीम के साथ झंडात्तोलन किया. इस दौरान पुलिस के जवानों ने परेड करने के बाद सलामी दी. एसआई ने बताया कि यह हमारे लिए गौरव का क्षण है. इस बार बिना सीआरपीएफ के मौजूदगी में जिला पुलिस ने किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया है. इससे पहले किले पर सीआरपीएफ की मौजूदगी में झंडोत्तोलन किया जाता था. मालूम हो कि नवंबर 2020 में सीआरपीएफ 47 वी बटालियन की तीनों कंपनी को रोहतास जिले से हटा अन्यत्र भेज दिया गया है.
वहीं, रोहतासगढ़ किला पर आजादी के बाद पहली बार 26 जनवरी 2009 को राष्ट्रध्वज फहराया गया था. रोहतास के तत्कालीन एसपी विकास वैभव के नेतृत्व में डेहरी के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी मिथिलेश कुमार और सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट ने यहां राष्ट्रीय ध्वज फहरा जनमानस में यह संदेश दिया था कि कैमूर पहाड़ी व रोहतास किला पर से नक्सलियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. उससे पहले रोहतासगढ़ किला पर नक्सलियों द्वारा राष्ट्र विरोधी ध्वज लहराया जाता था. रोहतास पुलिस ने इस किले पर 61 वर्षों बाद इतिहास रचा था. जिसके बाद से अब रोहतासगढ़ किला पर शान से पुलिस प्रशासन द्वारा आम लोगों की उपस्थिति में तिरंगा फहराया जाता है.
वनवासी कहते हैं कि रोहतासगढ़ किले को नक्सलियों का गढ़ माना जाता था. राष्ट्रीय दिवस पर नक्सली ही वहां अपना झंडा फहराते थे. आजादी के बाद नक्सलियों को छोड़ किसी ने इस ऐतिहासिक किले का रूख नहीं किया था. 15 अगस्त 2008 को कैमूर विकास मोर्चा के अध्यक्ष सुग्रीव खरवार ने राष्ट्रीय ध्वज फहराने की कोशिश की थी. स्वतंत्रता संग्राम की पहली लड़ाई वर्ष 1857 के आंदोलन में वीर कुंवर सिंह के भाई अमर सिंह का ठिकाना भी यह किला बना. अमर सिंह ने यहीं से अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का संचालन किया था. उनकी सेना को हटाने के लिए अंग्रेजी फौज को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी. ब्रिटिश फौज ने भी इस किले पर कब्जा किया और वहां ब्रिटिश हुकूमत का झंडा भी फहराया. बाद में दस्यु गिरोह व 80 के दशक में नक्सली आंदोलन के दौरान यह किला उनका गढ़ बन गया. जिसके बाद किसी ने वहां तक पहुंचकर तिरंगा फहराने की हिम्मत नहीं जुटाई.
तत्कालीन एसपी विकास वैभव के नेतृत्व में कैमूर पहाड़ी पर नक्सलियों के खिलाफ अभियान के बाद 2009 में गणतंत्र दिवस पर पहली बार किला पर तिरंगा फहराया गया. उस वक्त तत्कालीन एसपी ने पुलिस को हमेशा से अपना दुश्मन समझने वाले नक्सलियों को भी न्योता पर्चा के माध्यम से दिया था. पर्चा में नक्सलियों को जिले के मुख्य समारोह व रोहतासगढ़ किला पर झंडोत्तोलन में शामिल हो मुख्य धारा से जुड़ने की अपील की गई थी. हथियार के साथ समपर्ण कर तिरंगा की मान बढ़ाने वाले नक्सलियों को विशेष रियात व सम्मान देने की घोषणा की गयी थी.