नोवेल कोरोना को ले ताराचंडी धाम में दूर से ही माता का दर्शन करेंगे श्रद्धालु

फाइल फोटो: ताराचंडी धाम

दुनिया भर में कहर बरपा रहे नोवेल कोरोना वायरस का डर अब हर किसी को सताने लगा है. कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए मंदिरों में प्रवेश व देवी-देवताओं के दर्शन करने में भी सावधानी बरती जाने लगी है. दर्शनार्थियों को दूर से ही देवी-देवताओं का दर्शन, पूजा-पाठ व करने की सलाह दी जा रही है. मंगलवार को जय मां ताराचंडी कमेटी की हुई बैठक में श्रद्धालुओं व दर्शनार्थियों को अंदर मंदिर में प्रवेश करने पर अगले आदेश तक रोक लगाने का निर्णय लिया गया.

जिले के प्रसिद्ध शक्तिपीठ ताराचंडी देवी स्थान के गर्भगृह में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है तथा पूरे गर्भगृह को चारों तरफ से बैरिकेटिंग कर दी गई है. ताकि कोई भी व्यक्ति अंदर प्रवेश न कर सके. वहीं बाहर से ही दर्शन की व्यवस्था की गई है. जो स्थानीय लोग हैं उनके लिए दूर से ही दर्शन की व्यवस्था की गई हैं. वहीं अन्य प्रांतों से बसों द्वारा आने वाले श्रद्धालुओं को पूरी तरह से रोक दिया गया है. जबकि स्थानीय दर्शनार्थियों को धाम परिसर में पूरी तरह से हाथ-मुंह धोकर प्रवेश करने को कहा गया है. कमेटी के अध्यक्ष रविरंजन सिंह के मुताबिक फिलहाल 31 मार्च तक यह व्यवस्था लागू रहेगी. जरूरत पड़ी तो इसे आगे भी बढ़ाया जाएगा.

वहीं ताराचंडी धाम में श्रद्धालुओं में भारी कमी आयी है. वहीं पुजारियों की भी संख्या काफी कम है. इक्के-दुक्के पुजारी ही यहां दिख रहे हैं, और जो भी हैं जो अपने चेहरे को ढके हुए हैं. मंदिर कमेटी ने निर्णय लिया है कि मंदिर परिसर में भीड़ भाड़ इकट्ठा नहीं होने दिया जाए तथा पुजारियों और कर्मचारियों की भी संख्या घटा दी गई हैं. ताकि संक्रमण से बचा जा सके. इतना ही नहीं पूरे मंदिर परिसर के साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया गया है. जो भी पुजारी हैं, उन्हें बार-बार साबुन से हाथ धोने का निर्देश दिया गया है. यहां तक कि मंदिर के घंटे-घंटियां भी बजाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. मुख्य घंटों-घंटियों को कपड़े से ढक दिया गया है. ताकि सामान्य लोग इसे आकर छू ना सके. मंदिर के पुजारी कहते हैं कि संक्रमण को रोकने के लिए इस तरह की व्यवस्था की गई.

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