रोहतास व कैमूर में भी वन विभाग अब हाईटेक हो चुका है. कैमूर वन्यप्राणी आश्रयणी में एनटीसीए प्रोटोकॉल के अनुसार वैज्ञानिक तरीके से शाकाहारी व मांसाहारी वन्यजीवों की गणना एमएस स्ट्राइप इकोलॉजिकल एप से होगी. इसके लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून से आए विशेषज्ञों द्वारा वन विभाग के वनरक्षी, वनपाल और फील्ड स्टाफ को तकनीकी प्रशिक्षण दिया जा रहा है. बताते हैं कि कैमूर वन्यप्राणी आश्रयणी में सांभर व लेपर्ड समेत कई जानवर है.
कैमूर वन्यप्राणी आश्रयणी क्षेत्र लगभग 1600 वर्ग किलोमीट क्षेत्रफल में फैला हुआ है. जिसे टाईगर रिजर्व क्षेत्र घोषित करने को लेकर वन्य प्राणियों को प्रथम चरण का गणना किया जा रहा है. इसके लिए भारतीय वन्य जीव संस्था देहरादून से आए सात सदस्यीय वरीय पदाधिकरियों व विशेषज्ञों द्वारा कैमूर वन्यप्राणी आश्रयणी के विभिन्न जगहों पर पहुंचकर वन्य प्राणियों को गणना अथवा आंकलन करने के बारे में वन विभाग के वनरक्षी, वनपाल और फील्ड स्टाफ को बताया गया. वन्य प्राणी का आंकलन कैसे किया जाएगा, इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी गई. शनिवार तक परीक्षण चलेगा.
परीक्षण के बाद चार महीनों तक वन्यप्राणी के आकलन का कार्य रोहतास एवं कैमूर वन प्रमंडल द्वारा किया जायेगा. आकलन इकोलॉजिकल एप के माध्यम से की जाएगी. बाघ, तेंदुआ के साथ ही शाकाहारी वन्य प्राणी और गिद्ध की गणना के लिए वन जीव संस्थान की ओर से इकोलॉजिकल एप बनाया गया है. गणना पर जाने वाले कर्मचारियों की सेल्फी बिना एप आगे नहीं बढ़ेगा. इतना नही कर्मचारी को अपने नाम व पद की पूरी जानकारी एप में देनी होगी. जीपीएस के माध्यम से वन कर्मचारी की गणना करने वाले स्थान की पुष्टि भी होगी.
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दरअसल, कैमूर वन्यप्राणी आश्रयणी में मौजूद जानवरों की संख्या की जानकारी सहित अन्य आंकड़े जुटाए जा रहे हैं. ये आंकड़े राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनसीटीए) को भेजे जाएंगे. सभी तथ्यों को अनुकूल पाए जाने और उस पर केंद्र सरकार की सहमति के बाद इसे टाइगर रिजर्व घोषित किया जाएगा. विदित हो कि वर्ष 2020 में चेनारी के औरैंया, भुड़कुड़ा एवं दुर्गावती जलाशय वाले इलाके में पहाड़ी पर नर बाघ के पदचिन्ह देखे गए थे. सभी जगह पर पंजे के निशान एक ही तरह के थे. तिलौथू क्षेत्र में पहली बार इस बाघ का मल भी प्राप्त हुआ था. जबकि इसी वन्य क्षेत्र में कैमरा ट्रैपिंग के दौरान पहली बार बाघ की तस्वीर कैमरे में कैद हुई थी.
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रोहतास डीएफओ मनीष कुमार वर्मा ने बताया कि इस बार कैमूर वन्यप्राणी आश्रयणी में वन्य जीवों की गणना इकलॉजिकल एप से होगी. इस वन क्षेत्र में पहली बार वन्यप्राणी आकलन के लिए फेज-1 सर्वे कराया जा रहा है. जिसके लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून से सात सदस्यीय दल द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है. परीक्षण के बाद चार महीनों तक वन्यप्राणी के आकलन का कार्य रोहतास एवं कैमूर वन प्रमंडल द्वारा किया जायेगा. जानवरों की अलग-अलग लिस्ट तैयार की जाएगी. इससे वन्यजीवों सहित वनस्पतियों एवं उनकी प्रजातियों की भी विस्तृत जानकारी मिल सकेगी. गणना के लिए कैमरों की मदद भी ली जाएगी.
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