एक समय था जब राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस एवं गणतंत्र दिवस के अवसर पर रोहतासगढ़ किला पर नक्सलियों द्वारा प्रति वर्ष राष्ट्रविरोधी ध्वज लहराया जाता था. उसी रोहतासगढ़ किला पर आजादी के बाद पहली बार 26 जनवरी 2009 को रोहतास पुलिस ने राष्ट्रीय ध्वज फहरा जनमानस में यह संदेश दिया था कि कैमूर पहाड़ी व रोहतास किला पर से नक्सलियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. रोहतास पुलिस ने इस किले पर 61 वर्षों बाद इतिहास रचा था. जिसके बाद से अब रोहतासगढ़ किला पर शान से पुलिस प्रशासन द्वारा आम लोगों की उपस्थिति में तिरंगा फहराया जाता है.
देश के आजादी के बाद पहली बार 26 जनवरी 2009 को रोहतासगढ़ किला पर तत्कालीन एसपी विकास वैभव के नेतृत्व में डेहरी के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी मिथिलेश कुमार और सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट ने यहां तिरंगा फहराया था. तभी से राष्ट्रीय दिवस पर झंडा फहराने का सिलसिला आज भी जारी है. झंडात्तोलन के दौरान किला पर कैमूर पहाड़ी स्थित रेहल, कुम्बा, बभनतलाना, नागाटोली सहित दर्जन भर गांव के करीब दो सौ ग्रामीण मौजूद थे.
बता दें कि इसके बाद स्वतंत्रता दिवस यानि 15 अगस्त 2009 को भी तत्कालीन एसपी विकास वैभव के नेतृत्व में किला पर तिरंगा फहराया गया था. जिसके बाद से अब रोहतासगढ़ पर जिला पुलिस और सीआरपीएफ द्वारा शान से तिरंगा फहराया जाता है.
मालूम हो कि रोहतासगढ़ किले को नक्सलियों का गढ़ माना जाता था और ऐतिहासिक मौकों पर नक्सली ही वहां अपना झंडा फहराते थे. आजादी के बाद नक्सलियों को छोड़ किसी ने इस ऐतिहासिक किले का रूख नहीं किया था. स्वतंत्रता संग्राम की पहली लड़ाई वर्ष 1857 के आंदोलन में वीर कुंवर सिंह के भाई अमर सिंह का ठिकाना भी यह किला बना. अमर सिंह ने यहीं से अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का संचालन किया था. उनकी सेना को हटाने के लिए अंग्रेजी फौज को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी.
बाद में ब्रिटिश फौज ने भी इस किले पर कब्जा किया और वहां ब्रिटिश हुकूमत का झंडा भी फहराया. ब्रिटिश फौज के किला छोड़ने के बाद किसी ने उसका रूख नहीं किया. उसके बाद दस्यु गिरोह व 80 के दशक में नक्सली आंदोलन के दौरान यह किला उनका गढ़ बन गया. जिसके बाद किसी ने वहां तक पहुंचकर तिरंगा फहराने की हिम्मत नहीं जुटाई. तत्कालीन एसपी विकास वैभव के नेतृत्व में कैमूर पहाड़ी पर नक्सलियों के खिलाफ अभियान के बाद 2009 में गणतंत्र दिवस पर पहली बार किला पर तिरंगा फहराया गया.
उस वक्त इस राष्ट्रीय पर्व में शामिल होने के लिए रोहतास पुलिस द्वारा नक्सलियों को भी न्योता दिया गया था. पुलिस को हमेशा से अपना दुश्मन समझते रहने वाली नक्सलियों को यह न्योता पर्चा के माध्यम से दिया गया था. यह पर्चा तत्कालीन पुलिस अधीक्षक विकास वैभव द्वारा जारी किया गया था. जिसे पहाड़ी क्षेत्रों में वितरित किया गया. पर्चा पहाड़ी क्षेत्र के आमलोगों के साथ-साथ नक्सलियों को भी जिले के मुख्य समारोह व रोहतासगढ़ किला पर झंडोत्तोलन में शामिल हो मुख्य धारा से जुड़ने की अपील की गई थी. साथ ही हथियार के साथ समपर्ण कर तिरंगा की मान बढ़ाने वाले नक्सलियों को विशेष रियात व सम्मान देने की घोषणा की गयी थी.