रोहतास के शिवशंकर ने अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी पर फहराया तिरंगा

जब पूरा राज्य 22 मार्च को बिहार दिवस मना रहा था, उसी दिन रोहतास के लाल शिवशंकर सिंह अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो पर तिरंगा फहरा रहे थे. 23 मार्च को वापस भी लौट आए. उन्होंने 72 घंटे से भी कम समय में यह सफलता हासिल की.

रोहतास जिले के गोड़ारी थाना क्षेत्र अंतर्गत अमौरा गांव निवासी एक सामान्य किसान योगी सिंह के पुत्र शिवशंकर सिंह ने इस उपलब्धि से पूरे राज्य और देश का नाम रोशन किया है. अपने मेहनत से राज्य के प्रथम पर्वतारोही पर अपना कब्जा जमाया. पर्वतारोही के समय उन्होंने अपना वजन 20 किलोग्राम कम किया. बता दें कि किलिमंजारो तक पहुंचने के लिए उन्हें ज्वालामुखी वाली पहाड़ी, घने जंगलों, कंटीली झाड़ियों और रेगिस्तान से गुजरना पड़ा. अब वे अगले माह माउंट एवरेस्ट की चोटी को फतह करने की तैयारी में हैं.

फाइल फोटो

शिवशंकर ने 2016 में बेसिक माउंटेनियरिंग कोर्स किया. 2017 में जवाहर इंस्टीच्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग एंड विंटर स्पोट्र्स से एडवांस माउंटेनियरिंग कोर्स किया था. वे देश की जानी मानी पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा से प्रेरित होकर पर्वतारोहण के प्रति आकर्षित हुए. 2017 से अब तक ग्रीन टॉप, हैप्पी वैली, मोचई ग्लेशियर और माउंट स्टॉक कांगड़ी को फतह किया है. 24 सितंबर 2017 को भारत की सबसे ऊंची चोटी ट्रेकिंग पिक माउंट स्टॉक कांगड़ी को फतह कर राष्ट्रध्वज के साथ शराब मुक्त बिहार, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, स्वच्छ भारत अभियान तथा अंगदान महादान के नारों से लिखे बैनर को भी लहराया. उन्होंने खुद भी अंगदान किया है. अपने शारीर के ऑर्गन व टिश्यू को एम्स दिल्ली के ओआरबीओ डिपार्टमेंट को 70वें स्वतंत्रता दिवस पर सेना के सम्मान में दान कर चुके हैं.

वे आठ अप्रैल से माउंट एवरेस्ट के दक्षिणी भाग नेपाल से चढ़ाई शुरू करेंगे. इस अभियान के लिए भारत की ओर से उनका चयन किया गया है. इस पर करीब 29.5 लाख रुपये खर्च होंगे. शिवशंकर ने कहा कि उनका लक्ष्य सातों महादेश की सबसे ऊंची चोटियों पर तिरंगा लहराना है. वे पर्वतारोहण को युवाओं के बीच एक एडवेंचर स्पोट्र्स के रूप में प्रतिस्थापित करना चाहते हैं. हालांकि यह काफी महंगा है.

वे कहते हैं, अगर सरकार ध्यान दे तो साधारण घर के बच्चे भी बेहतर प्रशिक्षण लेकर देश का नाम रोशन कर सकते हैं. 13, 341 फीट ऊंचे किलिमंजारो पर राष्ट्रीय ध्वज फहराना उनके लिए काफी रोमांचक रहा है. अमूमन 10 दिन की इस चढ़ाई को पांच दिन में ही पूरा कर वापस लौट आए.

रिपोर्ट- अजीत कुमार सिंह

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