साउथ अफ्रीका में ह्यूमन राइट्स का अभियान चला रहे रोहतास के नीलसुंदर

रोहतास जिले के नोखा प्रखंड के बलिगांवा गांव निवासी गयानंद सिंह व रामराजी देवी के पुत्र नीलसुंदर दास साउथ अफ्रीका में मानवाधिकार कार्यकर्ता के रूप में कार्य कर रहे है. हाल ही में जेनेवा में कांफ्रेंस के बाद नीलसुंदर दास को नौ दिसंबर को ऑस्ट्रेलिया में मानवाधिकार को लेकर कांफ्रेंस में शामिल होने का न्योता मिला है.

इंडिविजुअल सोशल वर्कर व ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट के रूप में कार्य करने वाले नीलसुंदर दास एक सप्ताह के प्रवास पर अभी नोखा प्रखंड के बलिगांवा आए हुए हैं. हिंदी, भोजपुरी, अंग्रेजी सहित चौदह भाषाओं के ज्ञाता व श्रीकृष्ण भावनामृत के प्रचारक नीलसुन्दर दास साउथ अफ्रीका सहित अन्य कई देशों में ह्यूमन राइट्स को लेकर जागरूकता अभियान चला रहे हैं.

मानवाधिकार कार्यकर्ता नीलसुन्दर दास ने बताया कि दस वर्ष पहले साउथ अफ्रीका गए. उनके जेहन में महात्मा गांधी की कर्मस्थली फीनिक्स थी. फीनिक्स स्थित राष्ट्रपिता के स्मारक के पास गए. वहां से 30 किमी दूर डरबन को अपनी कर्म स्थली बनाया. साउथ अफ्रीका के टोंगाट में श्रीकृष्ण भावनामृत के प्रचार के अलावे ह्यूमन राइट्स व चाइल्ड-वुमेन राइट्स को लेकर जागरूकता अभियान में लग गए. उनके काम को विश्व ह्यूमन राइट्स के लिए काम कर रहे आयोग व संगठनों ने सराहना की.

हाल ही में जेनेवा में कांफ्रेंस में शामिल हुए थे. जेनेवा कांफ्रेंस में 108 देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे. इसके पूर्व वे यूएन, फ्रांस, जर्मनी व स्विट्जरलैंड आदि देशों में मानवाधिकार को लेकर कार्य कर चुके हैं. नीलसुंदर दास ने कहा कि मानवाधिकार को लेकर नौ दिसम्बर को ऑस्ट्रेलिया में होने वाले कांफ्रेंस में आमंत्रण मिला हैं.

कांफ्रेंस में चाइल्ड-वुमेन राइट्स के हनन का मामला उठाएंगे. खासकर पिछड़े व गरीब देशों के बच्चों-महिलाओं के मौलिक अधिकारों के हनन चिंता के विषय हैं. दुनिया विकासशील देशों की बात छोड़ दें, विकसित कहे जाने वाले देशों में भी ह्यूमन राइट्स की स्थिति अच्छी नहीं है. भारत में भी मानवाधिकार का हनन बड़े पैमाने पर हो रहा है. अशिक्षित, गरीब व कमजोर तबके के परिवारों की महिलाओं व पुरुषों को मानवाधिकार हनन का दंश झेलना पड़ रहा है, इसलिए उनको जागरूक बनाना आवश्यक है.

 

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