प्राथमिक शिक्षक नियोजन में एनआइओएस की ओर से डीएलएड करने वाले प्रशिक्षणार्थियों को झटका लगा है. राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआइओएस) से डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन (डीएलएड) करने वाले शिक्षकों के नियोजन पर रोक लगा दी गई है. इससे बिहार के दो लाख 69 हजार शिक्षकों को झटका लगा है. ये सभी शिक्षक राज्य के विभिन्न निजी स्कूलों में कार्य कर रहे हैं.
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बिहार में प्रारंभिक शिक्षकों की बहाली में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपेन स्कूलिंग (एनआईओएस) से डीएलएड करने वाले आवेदन नहीं कर सकेंगे. राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने शुक्रवार को शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आरके महाजन को पत्र भेजकर इस बाबत स्पष्ट किया है कि 18 माह का डीएलएड कोर्स प्रारंभिक शिक्षकों की नियुक्ति की न्यूनतम योग्यता में शामिल नहीं है.
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बिहार में प्रारंभिक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए आवेदन की प्रक्रिया इसी 18 सितम्बर से आरंभ होनी है. आवेदन 17 अक्टूबर तक जमा किये जाने हैं. अवर सचिव डॉ. प्रभु कुमार यादव ने अपने पत्र में एनसीटीई के 23 अगस्त, 2010 और 29 जुलाई, 2011 के आदेश के हवाले कहा है कि कक्षा एक से पांच और कक्षा छह से आठ में नियुक्ति के लिए वही अभ्यर्थी योग्य होंगे जिनके पास एलिमेन्ट्री एजुकेशन में दो वर्षीय डिप्लोमा (डीएलएड) की योग्यता होगी. एनसीटीई ने यह भी कहा है कि एनआईओएस ने एनआरसी और एनसीटीई के 22 सितम्बर, 2017 के आदेश से सरकारी, प्राइवेट और अनुदानित प्रारंभिक विद्यालयों में कार्यरत अप्रशिक्षित शिक्षकों को इन सर्विस ट्रेनिंग के रूप में डीएलएड कार्यक्रम चलाया है. इसकी अवधि भी 18 माह ही थी.
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बहरहाल एनसीटीई के शुक्रवार के स्पष्टीकरण के बाद यह साफ हो गया कि एनआईओएस की डीएलएड डिग्री पाने वाले शिक्षा विभाग की ताजा बहाली प्रक्रिया का हिस्सा नहीं होंगे. एनआईओएस से 18 माह का यह कोर्स देशभर के 12 लाख और बिहार के करीब 2.63 लाख लोगों ने किया था. अब इनमें से कोई भी प्रारंभिक विद्यालयों की शिक्षकों की नियुक्ति में आवेदक नहीं हो सकेंगे. इस मामले को लेकर शिक्षा विभाग पर दबाव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि शिक्षा विभाग ने न सिर्फ इस मामले पर एनसीटीई से मार्गदर्शन मांगा था, बल्कि उनका निर्देश हवाई जहाज से लेकर अधिकारी शुक्रवार को पटना के लिए चले.
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वहीं टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश महासचिव अमित विक्रम ने बताया कि इस फैसले के खिलाफ संघ सड़क और कोर्ट दोनों जगहों पर लड़ेगा. इसके लिए दस सितंबर को दिन के 11 बजे गांधी मैदान में एक बैठक रखी गई है. मालूम हो कि विभिन्न निजी शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ा रहे शिक्षकों ने एनआइओएस की ओर से आयोजित डीएलएड पाठ्यक्रम में नामांकन लिया था. इसमें से काफी शिक्षक राज्य स्तरीय शिक्षक पात्रता परीक्षा पास कर छठे चरण के होने वाले नियोजन में भाग लेने वाले थे. एनसीईटी के इस फैसले से उन्हें झटका लगा है.
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एनआइओएस के चेयरमैन डॉ. सीबी शर्मा ने कहा कि एनसीईटी का फैसला दुखी करने वाला है. तत्कालीन केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री की सहमति से एनसीईटी के अधिकारियों के साथ 18 महीने के डीएलएड कोर्स कराने पर मुहर लगाई गई है.