सरकार जहां विकास के नारों पर ही चुनाव लड़ने जा रही है. वहीं, नोखा प्रखंड के पिपरा गांव में ग्रामीणों ने ‘गांव की विकास नहीं तो वोट नहीं’ का नारा देते हुए विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है. ग्रामीणों द्वारा गांव में ‘गांव की विकास नहीं तो वोट नहीं’ का बैनर भी लगाया गया है.
ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों से भी अपील की है कि गांव में अपना प्रचार न करे. ग्रामीणों का कहना है कि हम लोग विधानसभा और लोकसभा में सांसद एवं विधायक के चुनाव में वोटिंग करते आ रहे हैं, लेकिन आज तक इस गांव में विकास नहीं किया गया है. ना गांव में सात निश्चय योजना के तहत कोई काम हुआ है. गांव की गलियों में पीसीसी ढलाई नहीं की गई है. नाली का निर्माण नहीं हुआ है. जिसके कारण नाली का गन्दा पानी सड़क पर गली में बहता है. विकास के मुद्दे को लेकर मतदान का बहिष्कार कर रहे है.
बता दें कि पिछ्ले लोकसभा चुनाव में पिपरा गाँव में ग्रामीणों ने विकास के मुद्दे को लेकर वोट का बहिष्कार किया था. नोखा विधानसभा के पिपरा गांव में मतदान केंद्र पर किसी ने मतदान नहीं किया था. ग्रामीणों का कहना है कि लोकसभा चुनाव के समय जब हम लोगों ने मतदान का बहिष्कार किया था तो कई जनप्रातिनिधि, पदाधिकारी गांव में आ कर विकास कराने का आश्वाशन दिया था कि इस बार वोटिंग कीजिए हम लोग विकास करेंगे. गांव में नली गली एव सड़क बना जाएगा. लेकिन चुनाव बाद अधिकारी भूल गए इसलिए हम लोग इस बार भी विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने जा रहे हैं. अधिकारियों को लिखित सूचना ग्रामीणों ने दी है. वोट वहिष्कार के लिए ग्रामीणों ने बैठक कर निर्णय लिया. इसकी सूचना ग्रामीणों ने स्थानिए अधिकारियों को लिखित दी है. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार गांव की विकास की बात कहती है लेकिन गांव की विकास की हकीकत यही है कि हम लोग विकास को लेकर विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने को मजबूर है.
रिपोर्ट- अरविन्द कुमार