बीजेपी से लोजपा में गए नोखा के पूर्व विधायक रामेश्वर चौरसिया ने अब पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. विधानसभा चुनाव के पहले लोजपा का दामन थामनेवाले रामेश्वर चौरसिया ने लोजपा सुप्रीमो चिराग पासवान को पत्र लिखकर पार्टी से इस्तीफा दिया है. रामेश्वर चौरसिया ने विधानसभा चुनाव 2020 में सासाराम से लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था. हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
हाथों से लिखे गए अपने इस्तीफे में उन्होंने चिराग पासवान को 2020 का विधानसभा चुनाव लड़ने का मौका देने के लिए धन्यवाद दिया है. साथ ही यह भी कहा कि अब मेरे लिए आपकी पार्टी में समय व्यतीत करना मुश्किल है. टिकट नहीं मिला था. तब लोजपा ने उन्हें टिकट दिया. इसके लिए उन्होंने धन्यवाद दिया है.
रामेश्वर चौरसिया ने कहा कि वह पार्टी को समय नहीं दे पा रहे थे इसलिए त्यागपत्र दिया है. अभी आगे के बारे में कुछ सोचा नहीं है, लगा कि अभी काम नहीं कर सकते, समय नहीं दे सकते इसलिए त्यागपत्र दिया है. उन्होंने कहा कि हर समय की परिस्थिति अलग होती है. उस समय यह निर्णय लिया था. अब आगे के बारे में सोचेंगे. उन्होंने शुभचिंतकों से कहा है कि फिलहाल फ्री होकर काम करना है. हालांकि एरामेश्वर चौरसिया ने राजद या कांग्रेस में जाने की सम्भावनाओं से इंकार करते हुए खुद को भाजपा कैडर का पुराना कार्यकर्ता बताया.
बता दें कि विधानसभा चुनाव के दौरान लोजपा में भाजपा के कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए थे, जिसमें राजेन्द्र सिंह, उषा विद्यार्थी और रामेश्वर चौरसिया का नाम शामिल था. अब रामेश्वर चौरसिया ने पार्टी छोड़ दी है. वहीं, लोजपा के कई नेता हाल ही में कांग्रेस जैसी पार्टी का दामन थाम चुके हैं. लोजपा के पूर्व महासचिव केशव सिंह का कहना है कि दर्जनों नेता अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ गुरुवार को जदयू में शामिल होंगे.
भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे रामेश्वर चौरसिया लगातार तीन बार 2000, 2005 और 2010 में नोखा विधानसभा से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं. चौरसिया को नीतीश विरोधी नेता माना जाता है. वह 2015 का विधानसभा चुनाव हार गए थे. इसके बाद 2020 में यह सीट जदयू के खाते में चली गई. तब रामेश्वर चौरसिया ने नाराज होकर भाजपा छोड़ दी और लोजपा के टिकट पर सासाराम से चुनाव लड़ा.