बिहार विधान परिषद के पूर्व सभापति प्रोफेसर अरुण कुमार के निधन पर गुरुवार को डीएम धर्मेंद्र कुमार व आशीष भारती सहित अन्य अधिकारियों ने सासाराम शहर के गौरक्षणी स्थित उनके आवास पहुंचकर उनके पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की. जिसके बाद गुरुवार को उनका पार्थिव शरीर पैतृक गांव कैमूर जिले के मछहनटा पहुंचा. यहां कैमूर डीएम, एएसपी, और एसडीएम ने पार्थिव शरीर को सलामी दी. राजकीय सम्मान के बाद परिजन पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए वाराणसी ले गए.
बता दें कि कैमूर के मछनहट्टा गांव में 2 जनवरी 1931 में जन्मे प्रो अरूण कुमार सासाराम के शान्ति प्रसाद जैन महाविद्यालय में प्राध्यापक भी थे. वे 5 जुलाई 1984 से 3 अगस्त 1986 तक बिहार विधान परिषद् के सभापति रहे. इसके बाद 16 अप्रैल 2006 से 4 अगस्त 2009 तक विधान परिषद् के कार्यकारी सभापति रहे. इस दौरान उन्होंने कई पत्र-पत्रिकाओं में अपने साहित्यिक लेख एवं कविताएं भी प्रकाशित की. उनकी कर्मभूमि सासाराम ही थी. प्रो अरुण कुमार को उत्कृष्ट संसदीय कार्यों के लिए वर्ष 1996 में राजीव रंजन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था.
गौरतलब है कि प्रोफेसर अरुण कुमार के निधन पर सीएम नीतीश ने भी शोक व्यक्त किया था. उन्होंने कहा था कि प्रोफेसर अरुण कुमार एक कुशल राजनेता और प्रसिद्ध समाजसेवी थे. उनके निधन से राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है. मुख्यमंत्री ने उनके बेटे से मोबाइल पर बात कर उन्हें सांत्वना दी थी.