कहते हैं अगर आप में हौसला हो तो कोई भी काम आसान हो जाता है. रोहतास जिले के डेहरी-ऑन-सोन की एक लड़की अपने हौसलों के दम पर स्लम बस्ती की करीब 80 बच्चों की तकदीर बदल रही है. सुबह-शाम अपनी पढ़ाई से समय निकाल कर वो गरीब बच्चों को न सिर्फ पढ़ाती है बल्कि अपनी जरूरतें पूरी करके बचे हुए पैसों से उनकी मदद भी करती है.
डिहरी के ईदगाह मोहल्ला स्थित अपने घर में तिरपाल के नीचे असहाय बच्चों की पाठशाला फिज़ा आफ़रीन चलाती हैं. मुंबई मे रह रही अपनी बड़ी बहन से सीख लेकर फिज़ा ने डिहरी के गरीब बच्चों के लिए काम करना शुरू किया. फिज़ा के पिता दुकान चलाते हैं और मां गृहणी हैं. दोनों को ही अपनी बेटी के इस कार्य पर गर्व होता है.
फिज़ा खुद डिहरी के महिला कॉलेज के बीए की छात्रा है. उसके द्वारा पढ़ाए बच्चे जब कुछ अच्छा करते हैं तो उसे भी खुशी मिलती है. अब तो आलम ये है कि अच्छे स्कूलों मे पढ़ने वाले बच्चे भी फिज़ा की क्लास में आना चाहते हैं और पढ़ाई करना चाहते हैं. बच्चों को पढ़ाने में उनकी सहायता अन्य पांच लोग भी निशुल्क करते हैं.
बता दें कि पहली से सातवीं तक की पढ़ाई में करीब 80 बच्चे हैं. इन बच्चों को दो जगहों पर दो बैच में पढ़ाया जाता है. यहां पढ़ने ऐसे बच्चे आते हैं जो किसी स्कूल में पढ़ने नहीं जाते या जिनके माता-पिता उन्हें पढ़ाने में सक्षम नहीं होते. फिज़ा की सोच समाज के लिए किसी तोहफे से कम नहीं है. वो अपनी पढ़ाई से समय निकाल कर उन बच्चों के लिए काम कर रही है जो किसी ना किसी वजह से पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं. कहना गलत नहीं होगा कि वह अपने हाथों से सैकडों बच्चो की तकदीर दिख रही है.
फिज़ा की मां कहती हैं कि बच्चों के शक्ल मे उनके घर रोज फरिस्ते आते हैं. फिजा ने बताया कि उनके इस मुहिम में उनके माता, पिता और भाई भी सहयोग करते हैं. वहीं बेटी की तारीफ करते-करते मां का गला भर आता है. वो कहतीं है कि आज के समाज में जहां लोग बेटियों को बोझ समझते है वहीं मेरी बेटी समाज को एक नई दिशा देने में लगी है. वहीं फिजा के स्कूल की जानकारी जैसे-जैसे लोगों के बीच पहुंची, तो मदद के लिए कई हाथ आने लगे है.
सहयोग- रवि कुमार