एकल परिवार के बढ़ते प्रचलन के बीच रोहतास जिला में एक संयुक्त परिवार का मिसाल है. यह सच है कि आज बदलते परिवेश में लोग की सोच नकारात्मक होती जा रही है. अधिकांश परिवार अपने मां पिता से अलग होकर अपने पत्नी बच्चे तक ही सिमट कर रह जा रहा है. ऐसे में परिवार की एकता की बात करना ही बेमानी हो जाती है. लेकिन रोहतास जिला में एक परिवार ऐसा है जो आज भी एकता का अध्याय जोड़े हुए है. यह परिवार समाज और एकल परिवार की हिमायती नई पीढ़ी के लिए एक सीख है.
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रोहतास जिले के काराकाट के सोनवर्षा गांव का 103 सदस्यों वाला यह परिवार आज के बदलते परिवेश में एक मिसाल है. यह परिवार समाज के लिए न सिर्फ एक सिख है बल्कि एकता की जबरदस्त कड़ी भी है. वर्ष 2000 में काराकाट प्रखंड केसोनवर्षा पंचायत से पहली बार मुखिया बने श्यामदेव सिंह ने पंचायत के लोगों को एक सूत्र में बांधने काम किए. पंचायत में जो भी मामले होते थाना कचहरी जाने की जरूरत नहीं होती थी. आपसी तालमेल से बैठकर हल निकाल लिए जाते थे. परिवार के अधिकतर सदस्य गांव में ही रहते है. खेती बाड़ी ही मुखिया जी के परिवार का मुख्य पेशा है. अब घर के कुछ लोग सरकारी टीचर में नियुक्त हुए है. घर में यदि कार्य हो तो सपरिवार एक साथ बैठकर निर्णय लेते हैं. हालांकि, अंतिम निर्णय मुखिया श्यामदेव सिंह का ही होता है. चार भाइयों में मुखिया जी सबसे बड़े हैं.
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बता दें कि शाम ढलते ही श्यामदेव सिंह को परिजनों की चिंता सताने लगती है. अमुक आदमी कहा है, क्या कर रहा है, कब आएगा, घर के सदस्यों की जानकारी बैठका में बैठे मुखिया जी लेने लगते है जब तक सभी परिवार के सदस्य आ नहीं जाते तब तक वो काफी परेशान हो रहते हैं उनके आने के बाद ही वे सोते यह उनकी दिनचर्या में शामिल है.
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वहीं पूर्व मुखिया श्यामदेव जी के परिवार की खाना एक ही चूल्हे पर पकती है और परिवार के अधिकतर सदस्य एक साथ ही बैठकर खाना खाते है उसी समय सुबह के काम के बारे में भी चर्चा हो जाती है घर की महिलाओं की जिम्मेवारी होती है खाना बनाने से लेकर परोसने तक की. गृहिणी बिंदु देवी के मुताबिक घर की बहुएं आपस में मेल मिलाप कर रहती है सब साथ मिलकर घर के कार्य निपटाती है जब की बाहरी कार्य पुरुष करते है. जबकि छोटे पुत्र सुशील सिंह कहते है कि शादी विवाह सहित घर में कोई भी कार्यक्रम का फैसला मुखिया जी ही लेते है।घर के सभी सदस्यों को वे एक नजरिये से देखते है. घर के सदस्य भी मुखिया जी को काफी इज्जत करते है.
रिपोर्ट- अजीत कुमार सिंह, बिक्रमगंज
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