अनंत सौंदर्य समेटे है पहाड़ों से घिरे दुर्गावती जलाशय की सुहानी वादियां, आप हो जाएंगे मोहित

पहाड़ी की गोद में बसे रोहतास जिले का दक्षिणी भाग प्राकृतिक सुंदरता काफी मनमोहक है. चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरे इस कई ऐसे स्थल हैं जिसकी सुंदरता का दीदार करने हर कोई आना चाहता है. इसमें हर किसी के दिल में दुर्गावती जलाशय को देखने की चाहत जरूर पनपती है. यह स्थल वाकई ऐसा है भी, जो यहां एक बार आ जाए वह बार-बार यहां आने का प्रयास करता है.

रोहतास व कैमूर की सीमा पर अवस्थित दुर्गावती जलाशय अपनी रमणीयता व प्राकृतिक सुंदरता को ले पूर्व से ही आकर्षण का केंद्र रहा है. यहां हरे-भरे जंगलों से लदी पर्वत श्रेणियों की तलहटी में प्रकृति की सुंदरता के अनमोल खजाने हैं. जो बरबस ही हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं.

पर्यटक यहां के प्रकृति की मनोरम वादियां, कलकल बहती नदी की धारा में पक्षियों की चहचहाहट, चारों तरफ से हरे-भरे पेड़ व पहाड़ की चट्टानों पर चढ़ कर घूमना लोग काफी पसंद करते हैं. दुर्गावती डैम रोहतास के शेरगढ़ पहाड़ी व कैमूर के करमचट के पास राजादेव टोंगर की पहाड़ी के बीच से निकलने वाली दुर्गावती नदी पर बना है. पर्यटक राजादेव टोंगर की पहाड़ी के बैकग्राउंड के साथ तस्वीरें लेने से नहीं चुकते हैं.

दुर्गावती जलाशय की खास बात यह है कि इसके पूर्वी तट पर शेरगढ़ का प्राचीन भूमिगत किला है. जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है. दुर्गावती जलाशय घूमने आए लोग शेरगढ़ किला को देखना नहीं भूलते. यहां से कुछ ही दूरी पर भुड़कुड़ा का प्राचीन किला भी सैकड़ों वर्षो से विद्यमान है.

शेरगढ़ किला की ऊपरी हिस्से से दुर्गावती जलाशय का विहंगम दृश्य देखते ही बनता है. वहां जाने वाले सैलानियों को भ्रमण के लिए पूरा एक दिन भी कम पड़ जा रहा है. दुर्गावती जलाशय से गुप्ता धाम के रास्ते में आधा दर्जन झरना हैं. मानसून में यहां की प्राकृतिक सुंदरता का नजारा खास हो जाता है.

जानकारी के अनुसार दुर्गावती नदी खुखमा गाँव के बारहोमासी जलकुंड के पास एक बाँस की कोठी के कुपड़ से निकलती है. इसमें सदैव पानी बहता रहता है. यहीं से निकलने के बाद आगे जाकर यह नदी का रूप धारण कर ली. जिसे आज दुर्गावती नदी के नाम से जाना जाता है. इस बांध की जद में करमचट नामक गांव आ गया. इसलिए आसपास के लोग इसे करमचट डैम भी कहते हैं.

रोहतास व कैमूर के किसानों के खेतों की सिंचाई के लिए 1976 में तत्कालीन उप प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम ने दुर्गावती परियोजना की नींव रखी था. उसके बाद जलाशय के निर्माण में कई प्रकार की अड़चने आई. अंतत: 2014 में इसके उद्घाटन का श्रेय पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को गया. दुर्गावती जलाशय की ऊँचाई 46 मीटर तथा लंबाई 1615 मीटर है. पानी क्षमता ग्रोस स्टोरेज 275 मिलियन क्यूबीक मीटर तथा लाइफ स्टोरेज 245 मिलियन क्यूबीक मीटर है.

यहां ऐसे पहुंचे: दुर्गावती जलाशय चेनारी मुख्य बाजार पहुंचने के बाद चेनारी-मल्हीपुर सड़क के माध्यम से पहुंचा जा सकता है. दुर्गावती जलाशय चेनारी बाजार से 13 किलोमीटर, जिला मुख्यालय सासाराम से 42 किलोमीटर एवं राजधानी पटना से 199 किलोमीटर है. यहां दुपहिये एवं चारपहिये वाहन से आसानी से पहुंचा जा सकता है.

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