रोहतास: मांझर कुंड मेले में पहुंचे हजारों सैलानी

सासाराम के कैमूर पहाड़ी पर अवस्थित मांझर कुंड में भादो महीना के पहले रविवार को पिकनिक मनाने की चली आ रही परम्परा के तहत सैलानियों का आज पूरे दिन वहां जमावड़ा लगा रहा. शहर के तमाम रास्ते पर हर कदम मांझर कुंड की ओर दिख रहे थे. जिले के विभिन्न हिस्सों के अलावा दूर-दराज व अन्य प्रांतो के लोग भी इस प्राकृतिक सौंदर्य के बीच पिकनिक मनाने का लुत्फ उठाने पहुंचे. सुबह से ही लोग खाने पीने के रेडिमेड सामान के अलावा स्थल पर ही चिकेन समेत लजीज व्यंजन बनाने की अन्य सामग्री लेकर पहुंचने लगे. पूरी पहाड़ी सैलानियों से पटी थी. मौसम भी सैलानियों के अनुकूल रहा.

मांझर कुंड पर इस बार बड़ी संख्या में सैलानी अपने पूरे परिवार के साथ पहुंचे थे. मांझर कुंड के अलावा धुआं कुंड, सीता कुंड, हनुमान धारा, भूतहिया झरना में भी पिकनिक मनाने वालों की भीड़ देखी गई. हालांकि इस दौरान लोगों में साफ-सफाई का जागरूकता नहीं देखा गया. मांझर कुंड से लोगों के लौटने के बाद जगह-जगह थर्मोकोल व प्लाश्तिक के कूड़े का अंबार लगा हुआ है. मांझर कुंड में सैलानियों के लगने वाले जमावड़ा को देखते हुए वन विभाग के ताराचंडी चेक पोस्ट से लेकर कुंड के रास्ते में सुरक्षा की मुकम्मल व्यवस्था की गई थी. वनकर्मियों के अलावे दरिगांव व मुफस्सिल थाने की पुलिस को लगाया गया था. मेला के दौरान पूर्व में अक्सर मांझर कुंड में स्नान करते समय हादसे होते रहे हैं, जिसे देखते हुए पुलिस इसबार सतर्क दिखी.

विदित हो कि शहर से 10 कि.मी. दूर कैमूर पहाड़ी पर स्थित मांझर कुंड पुराने समय से ही सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र रही है. रक्षा बंधन पर्व के बाद पड़ने वाले पहले रविवार को यहां मेले की परंपरा रही है. पूर्व में हर वर्ष भादो के पहले रविवार को मांझर कुंड पर गुरुग्रंथ साहिब की शोभायात्रा ले जाने की परम्परा थी. जहां सिख समुदाय के लोगों का जलसा तीन दिनों तक चलता था. इस जलसा में उनके विभिन्न प्रांतों व दूर दराज के शहरों में रहने वाले परिजन के अलावा रिश्तेदार भी परिवार के साथ शरीक होते थे, परंतु कैमूर पहाड़ी पर पहले दस्यु व फिर नक्सलियों की पैठ हो जाने के बाद दो दशक पूर्व से यह परम्परा खत्म हो गई.

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