नक्सली संगठन का मास्टरमाइंड विजय आर्य रोहतास से गिरफ्तार, पनाह देने वाला शख्स भी पकड़ा गया, कई राज्यों की पुलिस कर रही थी तलाश; नक्सल के प्रचार-प्रसार व कमिटी को पुनर्जीवित करने आया था रोहतास

बिहार और झारखंड में माओवादी नक्सलियों के शीर्ष रणनीतिकार माने जाने वाले नक्सली विजय कुमार आर्य को गिरफ्तार कर लिया गया है. रोहतास व औरंगाबाद पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए कुख्यात नक्सली विजय कुमार आर्य को रोहतास थाना क्षेत्र के समुहता गांव से उसके सहयोगी उमेश चौधरी के साथ गिरफ्तार कर लिया गया. बिहार, झारखंड, यूपी व मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों की पुलिस के लिए सिरदर्द बन चुके नक्सलियों के सेंट्रल कमेटी के टॉप लीडर माने जाने वाले विजय आर्य की गिरफ्तारी को बिहार पुलिस एक बड़ी उपलब्धि मान रही है. वहीं दूसरी ओर नक्सली कमांडर की गिरफ्तारी से भाकपा माओवादी को एक बहुत बड़ा झटका लगा है.

बुधवार की रात प्रेस कांफ्रेंस में एसपी आशीष कुमार भारती ने बताया कि गिरफ्तार कुख्यात नक्सली विजय आर्य मूलत: गया जिले के करमा गांव का निवासी है, जो भाकपा माओवादी नक्सली संगठन के केन्द्रीय कमिटी सदस्य (कोयल संघ जोन) के प्रभारी हैं. एसपी ने बताया कि केंद्रीय एवं राज्य स्तरीय इकाईयों द्वारा कुख्यात नक्सलियों क रोहतास जिला में छिपे रहने की आसूचना उपलब्ध कराई. उक्त सूचना के आलोक में मगध आईजी एवं शाहाबाद डीआईजी के मार्गदर्शन में रोहतास एवं औरंगाबाद पुलिस को भाकपा माओवादी नक्सली संगठन का शीर्ष नेता एवं खूखार माओवादी रोहतास थाना के समहुता गांव के उमेश चौधरी के घर में अपने साथी राजेश गुप्ता के साथ नक्सल के प्रचार-प्रसार आतंकवादी कार्यों के लिए निधियाँ जुटाने, नक्सली घटना को कारित करने एवं पुलिस के विरूद्ध आसूचना संकलन करने के लिए छिपे होने की सूचना प्राप्त हुई.

जिसके बाद रोहतास एसपी आशीष भारती व औरंगाबाद एसपी कांतेश मिश्रा के साथ आईबी टीम ने समन्वय करते हुए एक विशेष टीम का गठन किया. जिसमें रोहतास थानाध्यक्ष, तकनीकी सेल रोहतास, एसएसबी 29 बटालियन कीएफ कंपनी एवं औरंगाबाद पुलिस टीम को शामिल किया गया. विशेष टीम ने समहुता गांव में उमेश चौधरी के घर का घेराबन्दी कर विजय कुमार आर्य उर्फ दिलीप उर्फ अमर उर्फ यशपाल जी उर्फ यशपाल उर्फ प्रभात उर्फ रमण जी उर्फ श्रवण जी तथा समुहता निवासी उमेश चौधरी को गिरफ्तार कर लिया गया.

एसपी ने बताया कि गिरफ्तार नक्सली विजय कुमार आर्य ने अपने स्वीकारोक्ति बयान में बताया है कि ये भाकपा माओवादी नक्सली संगठन के केन्द्रीय कमिटी सदस्य (कोयल संघ जोन) के प्रभारी हैं. ये अपने साथी राजेश गुप्ता के साथ सोन गंगा विन्ध्याचल जोनल एडहॉक कमिटी को पुनर्जीवित करने लेवी उगाही एवं सदस्यों के भर्ती एवं पार्टी के प्रचार-प्रसार के लिए अपने पूर्व के पूर्व के परिचित उमेश चौधरी के घर पर विगत दो दिनों से ठहरे हुए था. पूर्व में भी इनके द्वारा कई नक्सली घटना को अंजाम देने एवं प्रचार-प्रसार करने में मुख्य भूमिका निभाने की बात स्वीकार की गई. तलाशी के क्रम विजय आर्य के तकिया के नीचे से एक काला रंग का बैग में सैमसंग का टैब, पेन ड्राईब, हार्डडिस्क, केबल, वाईस रिकॉर्डर, पेन्सिल बैटरी, माओवादी सोन-गंगा-विंध्याचल जोनल एडहॉक कमिटी का लेटर हेड, चंदा रसीद, देशभक्त और देशद्रोही शीर्षक से लिखा नक्सली साहित्य, स्टाम्प पैड, डायरी व दस हजार रूपये बरामद किये गये हैं.

एसपी ने कहा कि गिरफ्तार नक्सली विजय कुमार आर्य ने अपने स्वीकारोक्ति बयान में इस कांड में अपनी संलिप्तता स्वीकार करते हुए अन्य कई नक्सली गतिविधियों में अपनी संलिप्ता स्वीकार किया गया है. इनका अपराध क्षेत्र रोहतास जिला, गया जिला, औरंगाबाद जिला, कैमूर जिला के अलावे सीमावर्ती जिला तथा झारखंड एवं अन्य राज्यों में भी पाया गया है. पूछ-ताछ के क्रम में उक्त नक्सली के द्वारा कई अहम जानकारी दी गई है, जिससे रोहतास, गया, औरंगाबाद एवं कैमूर पहाड़ी पर नक्सली गतिविधि के रोकथाम के लिए पुलिस को मदद मिलेगी. विजय आर्य की गिरफ्तारी में लगी पुलिस टीम को पुलिस मुख्यालय पटना विशेष तौर पर सम्मानित करेगी. प्रेस वार्ता में अभियान एसपी सुमन सौरभ सहित रोहतास, औरंगाबाद के कई पुलिस पदाधिकारी शामिल थे.

बताया जाता है कि हाल के दिनों में रोहतास में नक्सली गतिविधि सुस्त पड़ने के कारण सेंट्रल कमिटी ने विजय आर्य को रोहतास व कैमूर में माओवादी संगठन को विस्तार करने की जिम्मेदारी सौंपी थी. कई पुलिसकर्मियों की हत्या करने से लेकर बम विस्फोट व अन्य घटनाओं में विजय आर्य की प्रमुख भूमिका थी. उस पर पूर्व में 30 लाख रुपए का इनाम घोषित था और वर्ष 2011 में उसे बिहार के कटिहार से पहले भी गिरफ्तार किया गया था. माओवादियों के शीर्ष बुद्धिजीवियों में से एक और अंतरराष्ट्रीय माओवादी संगठन रीम और कम्पोसा के संस्थापकों में शामिल विजय कुमार आर्य को जेल में बंद रखने के लिए बिहार सरकार ने खूब कवायद की थी, लेकिन सबूत के अभाव में कोर्ट ने विजय आर्य को रिहा कर दिया था. जेल से निकलते ही वह फिर सक्रिय हो गया था, इसलिए आईबी की टीम ने विशेष सूचना पर उसकी गिरफ्तारी की है. वहीं, 2018 के बाद कई माओवादी वारदातों में पुलिस ने विजय आर्या के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here