कश्मीर के बारामुला सेक्टर में आतंकी हमले में रोहतास जिले के बिक्रमगंज स्थित घुसियकलां निवासी सीआरपीएफ जवान खुर्शीद खान और जहानाबाद जिले के रतनी प्रखंड के अईरा गांव निवासी लवकुश शर्मा शहीद हो गये हैं. बिहार के दोनों जवानों की शहादत पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है. मुख्यमंत्री ने कहा है कि शहीदों के बलिदान को देश हमेशा याद रखेगा.
कश्मीर के बारामुला सेक्टर में आतंकी हमले में रोहतास का लाल सीआरपीएफ जवान खुर्शीद खान शहीद हो गये. वे बिक्रमगंज थाना क्षेत्र के घुसियकलां गांव निवासी स्व. श्यामुद्दीन खान के पुत्र थे. शहादत की सूचना मिलते ही शहीद के घर में मातमी सन्नाटा पसर गया. शहीद होने की जानकारी होते ही लोगों की भीड़ उनके घर के पास जमा हो गयी. सैकड़ों की तादाद में ग्रामीण व आसपास के गांवों के लोग उनके घर पहुंच स्वजनों को सांत्वना देने में लगे हुए हैं.
पत्नी, मां व बच्चों का रो रोकर बुरा हाल है. पत्नी नगमा खातून बार-बार बेहोश हो जाती हैं. होश में आने पर एक ही रट कि उनका शौहर किसी का क्या बिगाड़ा था. बेगम नगमा खातून की तीन बेटियां हैं. 13 वर्षीया जाहिदा खुर्शीद, 10 वर्षीया जुबैदा खुर्शीद और पांच वर्षीया अफसाखुर्शीद के साथ कमरे में खामोश पड़ी है.
शहीद जवान के सबसे छोटे भाई मुर्शिद खान ने बताया कि सोमवार को 9:30 बजे मुझे फोन कर बड़े भाई खुर्शीद खान घर का हालचाल ले रहे थे. पूछा कि वहां सब खैरियत है ना. मैंने बताया कि हां यहां सब खैरियत है. आप अपना ख्याल रखना. उधर से फोन जैसे ही कटा तभी एक गोली भाई के सीने में लग गयी. फिर अचानक कई गोलियां लगते ही मेरा भाई वहीं गिर पड़ा. इसकी सूचना लगभग 11 बजे भैया के यूनिट से मुझे फोन पर मिली कि आपके भाई शहीद हो गये हैं. जिस भाई से अभी-अभी बात हुई, तो सहसा उसके शहीद होने की सूचना पर भला मुझे कैसे विश्वास होता. लेकिन, उनके साथियों ने बताया कि यह सत्य है. उनका पार्थिव शरी मंगलवार को पहुंचेगा.
वे बताते है कि भैया खुर्शीद 19 जून को ही गांव पर तीन महीना गुजारने के बाद ही गये थे और अल्लाह ने यह दिन भी दिखा दिया. अब उनके पार्थिव शरीर के आने का इंतजार है. मुर्शिद ने बताया कि वह पांच भाई है और सभी भाइयों में वह बड़े थे. पिता श्यामुद्दीन खान की मृत्यु 2014 में होने के बाद से यही परिवार के लिए खेवनहार थे. आंखों से आंसुओं की धार निकल रही है, पर मुंह पर हुंकार है कि मेरा भाई देश के लिए शहीद हुआ है. इस पर हमें गर्व है. पांच भाइयों में सबसे छोटे मुर्शिद और मुजीब ने कहा कि हमें आप पर गर्व है भैया. आपने देश के लिए अपनी जान दे दी. हमें भी मौका मिला, तो हम देश पर मर मिटने को तैयार हैं.
परिजन बताते हैं कि 24 अक्टूबर 2001 को खुर्शीद सीआरपीएफ में ड्राइवर कांस्टेबल के पद पर तैनात हुए थे. गत पांच वर्षों से वे जम्मू-कश्मीर क्षेत्र के सीआरपीएफ 119 बटालियन में पदस्थापित थे. वे अत्यंत मिलनसार व्यक्ति थे, गांव आने पर सबके घर आत्मीयता से मिलते थे. युवाओं को भी कश्मीर में बदल रहे हालात के बारे में बताते थे.
मां रुखसाना खातून कहती हैं कि अब इस परिवार का सहारा कौन बनेगा. घर में तीन बेटियों समेत एक दर्जन सदस्यों की जवाबदेही खुर्शीद के उपर ही थी. बिक्रमगंज के एसडीपीओ राजकुमार ने बताया कि शहीद खुर्शीद का शव को सीआरपीएफ द्वारा लाया जाएगा, जहां सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार होगा. घुसिया कला में लोगों की आवाजाही को देखते हुए सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की गई है. खुर्शीद के घर लोगों का हुजूम उमड़ा हुआ है.