कैमूर पहाड़ी पर स्थित जिले के ऐतिहासिक पर्यटक स्थल रोहतासगढ़ किला पर कम समय में पहुंचने का सपना शीघ्र पूरा होने वाला है. बहुप्रतिक्षित रोपवे निर्माण का कार्य अब जल्द शुरू होगा. रोपवे निर्माण से पर्यटकों के लिए रोहतासगढ़ किला पहुंचना अब आसान हो जाएगा. रोहतासगढ़ किला पर जाने के लिए रोपवे निर्माण की सभी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है. प्रथम फेज सर्वे का कार्य भी निर्माण एजेंसी ने पूरा कर लिया है. साथ ही स्ट्रकचर निर्माण प्रारंभ कर दिया गया है. कुल 12 करोड़ 65 लाख रुपये की लागत से रोपवे का निर्माण किया जाएगा. कार्य को राज्य पुल निर्माण निगम की देखरेख में रोपवे एंड रिसोर्ट प्राइवेट लिमिटेड कोलकात्ता द्वारा कराया जा रहा है.
21 फरवरी 2020 से प्रारंभ को 15 महीने पूरा कर अप्रैल 2021 तक टूरिज्म डिपार्टमेंट को हस्तानांतरित किया जाना था. परंतु कोरोना वायरस के कारण छह माह का अतरिक्त समय निर्माण कंपनी को मिला है. रोपवे निर्माण की पटकथा नौ वर्ष पूर्व से ही शुरू है, जो अब धरातल पर योजना मूर्त रूप लेने लगी है. बताते चलें कि वर्ष 2011 से ही रोपवे निर्माण की कवायद शुरू हो गई थी. वर्ष 2015 में पर्यटन विभाग को रोपवे व अतिथि गृह निर्माण के लिए 12 करोड़ 65 लाख की राशि आवंटित की गई थी. वन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र भी निर्गत किया जा चुका है. वन विभाग को भारूही के पास बिहार सरकार की भूमि भी हस्तगत की जा चुकी है.
कैमूर पहाड़ी पर बसे गांव बभन तालाब निवासी पूर्व मुखिया कृष्णा सिंह यादव व मोती उरांव कहते है कि रोपवे बन जाने से नागा टोली, ब्रम्ह देवता एवं बभन तालाब गाव में यातायात एवं रोजगार विकसित होंगे. इन गांवों के लोग आज भी पहाड़ी से पैदल ही उतरते है. वहीं रोहतासगढ़ किला पर जाने के लिए सैलानियों का मार्ग सुगम हो जाएगा.
बिहार पुल निर्माण निगम के उपमुख्य अभियंता सुनील कुमार ने बताया कि कोरोना वायरस संक्रमण के कारण छह महीना कार्य में विलंब हो गया है. एजेंसी द्वारा प्रथम फेज सर्वे का कार्य पूर्ण कर लिया गया है. और रोपवे का स्ट्रक्चर कारखाना में तैयार कर लिया गया है. फरवरी माह तक धरातल पर कार्य तीव्र गति से प्रारंभ हो जाएंगे. और सारे स्ट्रक्चर निर्माण स्थल तक पहुंच जाएंगे. ताकि वर्षा रितु से पूर्व रोपवे तैयार किया जा सके.