सासाराम में अब हर साल शेरशाह सूरी की याद में 22 मई को मनाया जाएगा महोत्सव

अब प्रत्येक वर्ष 22 मई को शेरशाह सूरी महोत्सव का आयोजन रोहतास जिले में होगा। पर्यटन विभाग द्वारा एेतिहासिक महत्व को देखते हुए यह तिथि निर्धारित की गई है। पर्यटन विभाग ने इस दिशा में जिला प्रशासन को निर्देश जारी कर दिया है। जारी निर्देश के आलोक में अगले माह दो दिवसीय शेरशाह सूरी महोत्सव-2018 का आयोजन 21-22 मई को किया जाएगा। इस वर्ष का आयोजन थीम आधारित होगा, जिसे इवेंट कंपनी आयोजित करेगी। इस संबंध में जानकारी देते हुए आेएसडी ने बताया कि पर्यटन विभाग द्वारा महोत्सव के आयोजन हेतु शेरशाह के संर्दभ में एक ऐतिहासिक महत्व की तिथि मांगी गई थी। जिला प्रशासन द्वारा 22 मई की तिथि का सुझाव दिया गया, इसी तिथि को एक दुर्घटना में 1545 में कालिंजर में शेरशाह की मृत्यु हुई थी। पर्यटन विभाग द्वारा इसे मंजूरी दे दी गई, अब प्रत्येक वर्ष 22 मई को हीं शेरशाह महोत्सव का आयोजन किया जाएगा।

ज्ञात हो कि पिछले वर्ष भी मार्च महीने में दो दिवसीय शेरशाह सूरी महोत्सव का आयोजन सासाराम के फजलगंज स्थित न्यू स्टेडियम में किया गया था। महोत्सव का उद्घाटन सूबे की तत्कालीन पर्यटन मंत्री सह नोखा विधायक अनिता चौधरी ने किया था। कार्यक्रम में सूफी गायन से ले भोजपुरी गायकों ने भी अपनी प्रस्तुति दी थी। इस वर्ष भी पहले मार्च में हीं शेरशाह सूरी महोत्सव का आयोजन होना था। गत फरवरी में डीएम अनिमेष कुमार पराशर ने महोत्सव को ले अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की थी। लेकिन इस बीच पर्यटन विभाग ने प्रत्येक वर्ष एक निर्धारित ऐतिहासिक तिथि को इसका आयोजन करने का निर्णय लिया। इस संबंध में मशवरा करने के बाद 22 मई को शेरशाह सूरी महोत्सव के लिए निर्धारित किया गया।

मार्च 2017 में सासाराम में आयोजित शेरशाह महोत्सव

शेरशाह सूरी महोत्सव का आयोजन पर्यटन, कला एवं संस्कृति एवं युवा विभाग के तत्वाधान में किया जा रहा है। महोत्सव का मुख्य उद्देश्य जिले में पर्यटन को बढ़ावा देना है। शेशाह संबंधित ऐतिहासिक इमारतों और यहाँ स्थित महत्वपूर्ण पुरतात्विक विरासतों की तरफ पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करना है। जिले में शेरशाह का मकबरा, रोहतास किला समेत कई पर्यटन स्थल हैं, जहां पर्यटक अपेक्षाकृत कम आते हैं। हाल के वर्षों में पर्यटकों की संख्या में कमी भी आई है। सासाराम में शेरशाह के पिता हसन शाह और उनके पुत्र सलीमशाह का मकबरा भी वास्तुकला तथा पुरातात्त्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, परंतु उपेक्षित हैं। अब यहां पर्यटक नाम मात्र भी नहीं पहुंचते। इस तरह के आयोजनों से पर्यटक स्थलों का व्यपाक प्रचार-प्रसार संभव हो पाता है। शेरशाह सूरी को वास्तव में भारत के राष्ट्रीय नायकों में से एक समझा जाता है। शेरशाह सूरी (मूल नाम फरीद खान) बहादुर, बुद्धिमान, पैनी राजनैतिक परख रखने के साथ-साथ व्यवहार कुशल सैन्य प्रशासक होने के अलावा नगर प्रशासन में भी असाधारण कौशल और योग्यता रखने वाले व्यक्ति थें। उनके पिता, हसन शाह सासाराम के जागीरदार थे। शेरशाह सूरी का जन्म सन 1472 ईसवी में हुआ था और उसने अपनी औपचारिक शिक्षा जौनपुर से प्राप्त की थी। अपनी विशेषताओं के कारण उसने अपने कार्य की शुरूआत एक छोटे जागीरदार के रूप में की और वह मुगल बादशाह, हुमायूँ को हराने के बाद सन 1540 ईसवी में दिल्ली के राज सिंहासन पर बैठें। लेकिन दुर्भाग्य से वह पांच वर्ष की एक छोटी अवधि तक ही शासन कर सकें।

प्रभारी डीएम ओम प्रकाश पाल ने बताया कि इस वर्ष दो दिवसीय शेरशाह महोत्सव का आयोजन 21-22 मई को होगा। महोत्सव के विस्तृत आयोजन की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। स्टेज एवं अन्य तैयारी इंवेंट मैनेजमेंट कंपनी द्वारा किया जाएगा। मुख्य स्टेज सासाराम स्थित शेरशाह मकबरा के थीम पर बनेगा, जिसका बैकड्राप मध्यकालीन निर्माण की याद दिलायेगा।

रिपोर्ट- ब्रजेश कुमार

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