जब से मनुष्यों ने सभ्यता का रूप लिया है तब से प्रकृति ने उन्हें काफी मोहित और आश्चर्यचकित किया है. विशेषकर कृषि की शुरुआत के साथ ही मनुष्य को अपने जीवनयापन, भोजन, स्वास्थ्य, रहन-सहन इत्यादि में सूर्य के महत्व का एहसास होने लगा. मानव सभ्यता का इतिहास साक्षी है कि दुनिया का कोई कोना नहीं है, जहां सूर्य को पूजा न गया हो. मित्तनी, हित्ती, मिस्र के राजाओं के लिए सूर्यपूजा का सामान्य स्रोत भारत ही था. ऋग्वेद की ऋचाओं में सूर्य के विषय में जो कुछ दर्ज है, दूसरी सभ्यताओं में भी कुछ वैसा ही है. अंतर है तो नाम का. सूर्य के लिए लैटिन में ‘ सो ‘, ग्रीस में ‘हेलियोस’, मिस्र में ‘रा’ व ‘होरुस’ कहा गया है.
मिस्र सभ्यता के प्रमुख देवता थे – ‘रा’ – अर्थान सूर्य भगवान्, जिन्हें मिस्र का प्रथम राजा भी माना जाता था. मेसोपोटामिया में भी सूर्यदेवता को ‘शमाव’ के नाम से जाना जाता था. यूनान सभ्यता में तो दो सूर्य देवता थे – एक अपोलो तथा दुसरे हेलियोस. इसी प्रकार प्राचीन रोम, पेरू, चीन, इत्यादि सभ्यताओं में भी सूर्य को सर्वोपरि स्थान प्राप्त था. आइये, हम विदेश के कुछ सूर्य मंदिरों के बारें में जानते है.
चीन के बीजिंग में 1500 ई. में मियांग राजवंश के जियाजिंग सम्राट के बनवाये हुए सूर्य के मंदिर हैं. इस सूर्य मंदिर का प्रयोग इंपीरियल अदालत द्वारा पूजा के विस्तृत कृत्यों के लिए किया जाता था जिसमें उपवास, प्रार्थना, नाच और जानवरों की बलि भी होती थी. इस मंदिर की सबसे खास बात है लाल रंग का प्रयोग जो सूर्य के साथ जोड़ कर देखा जाता है. इसमें भोजन और शराब परोसने के लिए लाल बर्तन, रेड वाइन और सम्राट के लिए लाल कपड़े शामिल थे. मंदिर अब एक सार्वजनिक पार्क का हिस्सा है.
प्राचीन मिस्र में, कई सूर्य मंदिर थे इन पुरानी स्मारकों में से अबू सिंबेल में रामसेस के महान मंदिर, और पांचवें राजवंश द्वारा निर्मित परिसर शामिल थे. इनमें से केवल दो ही शेष बचे हैं, यूजरकैफ़ और न्यसेर. पांचवीं राजवंश के इन मंदिरों में आम तौर पर तीन खास चीजें होती थीं. जिसमें एक सबसे ऊंची मुख्य मंदिर इमारत जो एक छोटे से प्रवेश द्वार से जुड़ी होती थीं, जिसमें से होते हुए एक संकरे मार्ग होता था जो मुख्य मंदिर में पहुंचाता था. काफी पहले लुप्त हो चुका ये मंदिर अब 2006 में, पुरातत्वविदों को काहिरा के एक बाजार के नीचे खंडहर के रूप मिला. अनुमान है ये शायद रामसेस द्वितीय द्वारा निर्मित सबसे बड़े मंदिर का हिस्सा हो सकता है.
मेक्सिको का सूर्यमंदिर जो प्लांक मेक्सिको में गीजा के पिरामिड में स्थित है, जो 9वीं शताब्दी में बना है.
ग्वाटेमाला में पांचवी शताब्दी में बना हुआ टेम्पल ऑफ नाइट सन का अवशेष है, जो माया शासनकाल का है.
जपान का शिंटो श्राइन टेम्पल 710ई. में बनवाया गया.
अमेरिका कोलोराडो नेशनल पार्क के अंदर स्थित सूर्यमंदिर 1275 में निर्माण किया गया.
पाकिस्तान के मुल्तान में स्थित प्राचीन सूर्यमंदिर को 10वीं शताब्दी में इस्लामिक आक्रमणकारियों के द्वारा ध्वस्त कर दिया गया.