सदर अस्पताल सासाराम में दो साल पहले बने ट्र्रॉमा सेंटर के शुरू करने की सिर्फ खानापूर्ति की गयी. शहर में अभी तक ट्रॉमा सेंटर की सुविधा नहीं है. अधिकतर गंभीर मरीजों को वाराणसी रेफर किया जाता है. ऐसे में संसाधनों होने के बावजूद जब विभाग उसका उपयोग नहीं कर पाता है, तो कई सवाल खड़े होते हैं. सासाराम के सदर अस्पताल में लाखों की लागत से ट्रॉमा सेंटर का निर्माण कर किया गया. इतना ही नहीं तमाम तरह के उपकरण भी इसमें रखे गए हैं.
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लेकिन प्रशिक्षित कर्मियों के अभाव में यह सेंटर शोभा की वस्तु बनकर रह गया है. पिछले 2 सालों से सदर अस्पताल के परिसर में इसका भवन बनकर तैयार था. बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के आचार संहिता लगने के लगभग एक माह पहले इस ट्रॉमा सेंटर का उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया. लेकिन उद्घाटन के 22 दिन बाद भी इस ट्रामा सेंटर में ताले लटके हैं. इसमें कई तरह के उपकरण भी हैं, फिर भी इसका इस्तेमाल नहीं हो रहा है.
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जानकार बताते हैं कि अगर यह ट्रॉमा सेंटर चल रहा होता तो शहर के मरीजों का इसका बेहतर उपयोग किया जा सकता था. जानकारी के मुताबिक बगैर डॉक्टरों की नियुक्ति 22 सितम्बर को ट्रॉमा सेंटर का उद्घाटन हुआ. अभी भी इस ट्रामा सेंटर के लिए स्टाफ की नियुक्ति नहीं हुई है. लेकिन शासन द्वारा ट्रॉमा सेंटर का उद्घाटन कर दिया गया.
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सिविल सर्जन डॉ. सुधीर कुमार ने बताया कि ट्रामा सेंटर में सभी सुविधाएँ है, लेकिन ट्रामा सेंटर अभी कार्य नहीं कर रहा है. उनकी लगातार ये कोशिश है कि जल्द ही इसकी सेवा बहाली की जा सके.
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