राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल(एनडीआरएफ) के जवानों से कम नहीं हैं बिक्रमगंज की युवा टोली. इनका इस्तेमाल प्रशासन द्वारा भी समय-समय पर किया जाता है. गहरे पानी में डूबे किसी को बचाना हो या शवों को ढूंढना हो, यह टोली हमेशा तैयार रहती है. प्रशासनिक कार्य पर इन्हें 500 रुपये का मेहनताना मिलता है. इन युवकों ने कहीं ट्रेनिंग तो नहीं ली है, पर इनकी उपयोगिता आसपास के क्षेत्रों में ख्यात है. गौरतलब है कि बिक्रमगंज अनुमंडल में नहरों व काव नदी के गहरे पानी में लोगों के डबने की खबर आती रहती है. ऐसे में अगर किसी की डूबने से मौत हो जाये, तो शव को ढूंढने के लिए एनडीआरएफ की टीम के आते-आते काफी वक्तलग जाता था. इन्हीं समस्याओं को देखते हुए इन युवकों ने कदम बढ़ाये. हालांकि कई बार इन्हें नाकामी भी हाथ लगी, फिर भी इनका मनोबल कम नहीं हुआ.
अनुमंडलाधिकारी विजयंत कहते हैं कि इन्हें प्रशिक्षण की आवश्यकता है. अगर इनको समुचित संसाधन के साथ बेहतर प्रशिक्षण मिले, तो इस इलाके के लिए देवदूत बन आपदा के समय बचाव के लिए पर्याप्त होंगे. एसडीओ ने कहा कि बिक्रमगंज में जल्द ही बड़ा जाल व बोट की व्यवस्था करायी जायेगी, ताकि जरूरत पर डूबे हुए की तत्काल खोजबीन शुरू हो सके. क्षेत्र में चारों और नहरों के जाल के कारण किसी ना किसी क्षेत्र में डूबने की घटना होती रहती है. इसके लिए डेहरी या फिर पटना से एसडीआरएफ को बुलाना पडता हैं. हाल के कुछ वर्षो में स्थानीय युवाओं ने साहस का परिचय दे खुद को साबित किया है. इन युवकों में विकास कृमार, सुधीर कुमार, कृष्णा कुमार, जावेद खान, रिजवान खान, चिंटू, सौदागर, सोनू खान हैं. इनका कहना है कि सरकार समुचित संसाधन के साथ जीविकोपार्जन का भरोसा दिलाये, तो 24 घंटे मदद को तैयार हैं.
काव नदी में मूर्ति विसर्जन के दौरान चार लोग डूब रहे थे, जिनमें दो लोगों को बचा लिया गया था, जबकि एक का शव गहरे पानी से ढूंढ निकाला गया था. वहीं, लडूई लख के पास एक व्यक्ति का शव नहर में गिरे जामुन के पेड़ से दब गया था, जिसके लिए नहर के गहरे पानी में जामुन के पेड़ को आरी से काट शव को निकाला गया था. घुसिंयांकलां गांव में काव नदी में डूबे एक युवक की तलाश के लिए बाहर के गोताखोर को बुलाया गया था जो नाकाम हुए थे. तब इन युवाओं ने शव को ढूंढ निकाला था. इसी प्रकार नटवार नहर, बभनौल काव नदी, दावथ काव नदी में हुए घटनाओं में इन युवकों की टाम ने सफलता पूर्वक काम पूरा कर स्थानीय लोगों व प्रशासनिक अधिकारियों का भरोसा जीता है. बिक्रमगंज अनुमंडल के पदाधिकारियों ने एक स्वर से इन युवकों के कार्यों की सराहना की. नगर पर्षद कार्यपालक पदाधिकारी प्रेम स्वरूपम ने कहा कि दुर्गापूजा व सरस्वती पूजा के मूर्ति विसर्जन व छठ पूजा के समय इन गोताखोर युवकों की जरूरत पड़ती है. इसके बदले में इन्हें 500 रुपये रोजाना मेहनताना दी जाती है. एसडीएम विजयंत ने कहा कि ये युवा बेहतर कार्य करते हैं. लेकिन, समुचित ट्रेनिंग के बाद ही इनके भविष्य के लिए कुछ बेहतर कदम उठाये जा सकते हैं.
रिपोर्ट- संतोष चंद्रकांत