रोहतास में डॉ मधु की अनूठी पहल पर सजग हो रही घर की गृहलक्ष्मी

डॉ. मधु उपाध्याय

एक पुरानी कहावत है, ‘घर की गृहलक्ष्मी सजग होगी तो परिवार के अन्य लोग स्वतः सजग हो जाएंगे। रोहतास जिले के संझौली प्रखंड में एक ऐसी ही अनूठी पहल की शुरुआत हुई है, “नाम है हैलों बहन चेन।” स्वच्छता आईकॉन डॉ मधु उपाध्याय द्वारा इसकी शुरुआत की गई है। उद्देश्य है, ‘कोरोना महामारी में हैलों बहन चेन के द्वारा घर के गृहलक्षमियों और परिवार के अन्य महिलाओं को जागरूक व सजगता प्रदान करना, ताकि घर के पुरुष वर्ग भी सजग हो सके।

कोरोना महामारी में शारीरिक दूरियों के अनुपालन के साथ ही हैलों बहन चेन से गांव के महिलाओं को जागरूक व सजगता का सुखद  परिणाम मिलने लगा है। अबतक इस चेन से जुड़ सात हजार से अधिक महिलाओं को सजगता प्रदान की जा चुकी है। इस चेन के जागरूकता अभियान में जीविका दीदियों का भरपूर साथ भी मिलने लगा है। दिलचस्प बात है कि हेलो बहन चेन के द्वारा गांव की महिलाएं अपने आस-पास उपलब्ध संसाधनों व तकनीक के इस्तेमाल से महामारी के खिलाफ जंग में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगी हैं। चेन की खासियत यह है कि प्रखंड के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के कम पढ़ी लिखी व गरीबी की मार झेल रही महिलाओं को भी जागरूक करने में सफलता मिलने लगी हैं। अब तो घर के गृहलक्ष्मी का फरमान जारी होने लगा है, ‘ बेवजह घर से नहीं निकलना है। लॉकडाउन के अनुपालन को ले अब महिलाओं का रुख सख्त हो गया है। स्वच्छता को ले इतिहास रचने वाले संझौली प्रखंड की महिलाएं ऐसे अनूठी कार्यों को लेकर पहले भी मिसाल बन चुकी है।

सक्रिय हैं चेन से जुड़ी पढ़ी-लिखी 40 महिलाएं:

हैलो बहन चेन में ग्रामीण महिलाओं को जागरूक करने के लिए संझौली प्रखंड के विभिन्न गांव की पढ़ी-लिखी 40 महिलाएं सक्रिय हैं , जो प्रतिदिन 20 परिवार के महिलाओं को फोन के द्वारा जागरूक कर रही हैं। सजगता के साथ डॉ मधु द्वारा जीविका के सहयोग से कम लागत में तैयार मास्क, घरेलू सैनिटाइजर, साबुन आदि भी निशुल्क घरों तक पहुंचाया जा रहा है। चेन के द्वारा बाहर से आने वाले लोगों को क्वॉरेंटाइन सेंटर में जाने की सलाह भी दी जा रही है। अब तो चेन से सीमावर्ती बिक्रमगंज, काराकाट, दिनारा व नोखा प्रखंड की महिलाएं भी जुड़ने लगी हैं।

पारंपरिक धुनों पर रोचक गीत भी बना जागरूकता का आधार:

चेन से जुड़ी महिलाओं द्वारा भोजपुरी भाषा के पारंपरिक धुनों पर तैयार की गई कई रोचक गीत भी जागरूकता का आधार बना है। जिससे कोरोना के विरुद्ध महिलाएं सजग हो रही है। छाइल करोना बा जैसे रे बदरिया, बहरिया ये दादा बड़ा डर लागे। बेरी-बेरी हथवा तू साबुन से धोइह, करिह नमस्ते तू हाथ ना मिलईह.. तबे दूर होइ कोरोना माहामरिया जैसे कई गीत महिलाओं को संक्रमण से लड़ने को प्रेरित कर रहा है। प्रखंड जीविका संघ के अध्यक्ष कुमारी लता देवी ने बताया कि हैलो बहन चेन से बेहतर नतीजे सामने आ रहे हैं। घर के गृहलक्ष्मी का जागरूकता उनके परिवार को सुरक्षित बना रहा है।

कौन है डॉ मधु:

डॉ मधु जिले के महिला जनप्रतिनिधियों में अधिक पढ़ी लिखी चांदी इंग्लिश पंचायत की बीडीसी व संझौली उप प्रमुख हैं। स्वच्छता में  किए गए महत्वपूर्ण कार्यों को ले तत्कालीन जिलाधिकारी अनिमेष कुमार पाराशर द्वारा डॉ मधु को जिले का स्वच्छता आइकन बनाया था। स्वच्छता आइकन की जिम्मेवारी निभाने के साथ महिला सशक्तिकरण में विशेष कार्यों को ले डा मधु को  कई बार राष्ट्रीय स्तर पर भी सम्मानित किया जा चुका है। 2017 में गुजरात के गांधीनगर में भारत की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में महिला दिवस पर स्वच्छता दूत सम्मान मिल चुका है। 2018 में लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री उमा भारती द्वारा नारी सशक्तिकरण गर्व पुरस्कार दिया जा चुका है। 2019 में बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार द्वारा भी डॉ मधु के उल्लेखनीय कार्यों को ले प्रशस्ति पत्र दी जा चुकी है व 2020 में कंचन रत्न सम्मान से नवाजा गया है। कई संस्थाओं द्वारा भी इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। डॉ मधु अपना प्रेरणास्रोत विद्युत विभाग में कार्यरत इंजीनियर पति मिहिर कुमार उपाध्याय को मानती हैं। 

प्रस्तुती- प्रमोद टैगोर, वरिष्ठ पत्रकार

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